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करवा चौथ 2022 का महत्व और इतिहास - करवा चौथ 2022 का महत्व

करवा चौथ 2022 का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

karwa chauth
करवा चौथ

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Published : Aug 16, 2022, 1:37 PM IST

रायपुर: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, वैवाहिक जीवन सुखमय और अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं चौथ माता की पूजा करती हैं. रात में चंद्र दर्शन और अर्घ्य दान करने के बाद व्रत का पारण करती हैं. करवा चौथ 2022 का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर रविवार को यह व्रत रखा जाएगा.

इसलिए किया जाता है करवा चौथ:पौराणिक काल से यह मान्‍यता चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्‍यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्‍यवान की पत्‍नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की. उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें. मगर यमराज ने उसकी बात नहीं मानी. इस पर सावित्री अन्‍न जल त्‍यागकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी. काफी समय‍ तक सावित्री के हठ को देखकर यमराज को उस पर दया आ गई. यमराज ने उससे वर मांगने को कहा. इस पर सावित्री ने कई बच्‍चों की मां बनने का वर मांग लिया. सावित्री पतिव्रता नारी था और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी तो यमराज को भी उसके आगे झुकना पड़ा और सत्‍यवान को जीवित कर दिया. तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सावित्री का अनुसरण करते हुए निर्जला व्रत करती हैं.

करवाचौथ का शुभमुहूर्त :हिंदी पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर 2022 को प्रातः काल 1 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी. यह तिथि 14 अक्टूबर 2022 को प्रातः काल 3 बजकर 8 मिनट पर खत्म होगी. करवा चौथ के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर को शाम 5:46 बजे से 6:50 बजे तक है. यानी कि इस दिन महिलाओं को पूजा के लिए इस बार करीब 1 घंटे का समय मिलेगा.

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करवा चौथ का इतिहास:इस व्रत का पालन उत्तरी क्षेत्र से शुरू हुआ. देश भर में महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखना शुरू कर दिया. पहले पुरुष मुगलों के खिलाफ युद्ध के लिए बाहर जाते थे और महिलाएं बच्चों के साथ घरों में अकेली रहती थीं. इसलिए पति की जीत और भलाई के लिए प्रार्थना करने के लिए, पत्नी भगवान की पूजा करती थीं और निर्जला व्रत रखती थीं. प्राचीन काल में लोग समय की गणना चन्द्रमा और सूर्य के परिभ्रमण से करते थे. इसलिए अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन महिलाएं युद्ध से अपने पति के आने की प्रतीक्षा करती थीं और अपना व्रत खोलती थीं.

करवा चौथ का महत्व:करवा चौथ के त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. यह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि इस महीने के दौरान देवी पार्वती और भगवान विष्णु अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. साथ ही देवी महिलाओं की मनोकामना भी पूरी करती हैं और उनके पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इसलिए देवी को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं.

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