रायपुर:आओ फिर से दीया जलाएं, भरी दुपहरी में अँधियारा, सूरज परछाईं से हारा, अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाए... ये पंक्तियां हैं हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की. इनकी इस कविता से ही पता चल जाता है कि वे कितने सकारात्मक और विचारशील थे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी न होते, तो शायद आज छत्तीसगढ़ न होता. आज उनकी 96वीं जयंती है. इस अवसर पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्जा दिलाने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर भी याद किया जाता है. उन्होंने अपने वादे के मुताबिक देश में तीन नए राज्य का गठन कराया, इनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल था. वे अक्सर कहा करते थे कि देश के इस भू-भाग से उनका खास लगाव है. उनकी सरकार में छत्तीसगढ़ से तीन सांसद, मंत्री बनाए गए थे. इनमें रमेश बैस, दिलीप सिंह जूदेव और डॉ. रमन सिंह शामिल थे.
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1999 के इस चुनाव में छत्तीसगढ़ में अटल लहर चली थी. जिसमें विद्याचरण शुक्ल और वोरा जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए थे. ठीक एक साल बाद अटल सरकार ने अपने वादे को पूरा करते हुए 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ नए राज्य का गठन करा दिया. अटल जी की इस सरकार के बाद केन्द्र में 4 सरकारें बन चुकी हैं. इनमें दो डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार और दो बार नरेंद्र मोदी की, लेकिन इसके बाद किसी भी सरकार के मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ को इतना स्थान नहीं मिला. इन सरकारों में छत्तीसगढ़ से एक से ज्यादा सांसद मंत्री नहीं बन सका.