राजनांदगांव\डोंगरगांव: सावन का आज तीसरा सोमवार है. भगवान भोलानाथ के प्रिय महीने सावन में आज ETV भारत आपको प्रकृति की गोद में बसे शिव मंदिर के दर्शन कराएगा. पहाड़ों पर बसे इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती के सती रूप के अलौकिक दर्शन होते हैं. सावन में इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
मां दंतेश्वरी मंदिर से 400 मीटर की दूरी पर भैरव बाबा का मंदिर दिखाई पड़ता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चलने की जरूरत नहीं है. मंदिर तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों और वन विभाग ने कंक्रीट की सीढ़ी का निर्माण कराया है. पहाड़ियों पर बसे इस मंदिर में कई तरह के औषधीय पेड़ और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जो कहीं और नहीं मिलती हैं. यह पहाड़ी खुज्जी वनमंडल परिक्षेत्र के मुंजाल गांव के अंतर्गत आता है. भैरव बाबा के मंदिर पहुंचने के कुछ ही दूर पहले बरगद और पीपल का वृक्ष एक साथ लगा हुआ है, जो आपस में गले मिलते हुए दिखाई देते हैं, ऐसा आमतौर पर देखा नहीं जाता.
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दुर्लभ वृक्षों की भरमार
स्थानीय ग्रामीणों बताते हैं कि इस रास्ते में कई तरह की दुर्लभ जड़ी-बूटियां तो हैं ही, इसके साथ ही कुछ ऐसे पेड़-पौधे भी हैं, जो बहुत कम पाए जाते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर के पास लगे पलाश के पेड़ पर छत्तीसगढ़ का सबसे पहला पलाश का फूल खिलता है. इसके साथ ही मंदिर में कई ऐसे पौधे भी हैं, जो हमेशा जोड़े में दिखते हैं, जिन्हें छत्तीसगढ़ में शिव-पार्वती के रूप में पूजा जाता है, जो दो त्रिकोण पत्ती या कंद के रूप में होते हैं, जिसे बनराकस के पौधे के नाम से जाना जाता है. इस पौधे को प्राचीन समय में टीबी और कैंसर के इलाज के लिए उपयोग किया जाता रहा है. इसके अलावा भैरव बाबा धाम के पहुंच मार्ग में सीढ़ी के रास्ते कुछ ऊपर चढ़ने पर दाहिनी ओर वनों की रानी कहलाने वाला कुल्लू अमेरिकन मूल का वृक्ष भी मौजूद है, जो अलग ही दिखाई देता है. ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर में अनंत फूल की दुर्लभ प्रजाति का पौधा है, जिसका उपयोग मंगल ग्रह की शांति के लिए किया जाता है. वहीं जंगली प्याज का कंद भी मौजूद है, जिसका गुण बेहद रहस्यमयी और गुणकारी है.