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Varuthini Ekadashi : वरुथिनी एकादशी का महत्व और मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास की 11वीं तिथि को एकादशी आती है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए. ये दिन विष्णु पूजन के लिए माना गया है.

Muhurta of Varuthini Ekadashi
वरुथिनी एकादशी का महत्व और मुहूर्त

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Published : Apr 10, 2023, 5:49 PM IST

रायपुर : एक मास में दो पक्ष होने के कारण एक शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है. इस तरह से एक साल में कम से कम 24 एकादशी आती ही है.कभी कभी अधिमास के कारण एकादशी की संख्या बढ़कर 26 भी हो सकती है. वरुथिनी एकादशी के दिन विष्णु के वराह अवतार पूजे जाते हैं.

वरुथिनी एकादशी का मुहूर्त :इस सालवरुथिनीएकादशी 15 अप्रैल शाम 8 बजकर 46 मिनट से शुरु होगी. जो अगले दिन 16 अप्रैल शाम 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगी.व्रत पारण का समय 17 अप्रैल सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक का है.

वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व : वरुथिनी एकादशी सौभाग्य लाने वाली मानी गई है. इस दिन अन्न दान करने से पितृ, देवता, मनुष्य सब की तृप्ति होती है. द्वापर युग में श्री कृष्ण ने वरुथिनी एकादशी का महत्व अर्जुन को समझाया था. वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को दुख और दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है.

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क्या है एकादशी की दिनचर्या :एकादशी के व्रत का संबंध तीन दिनों की दिनचर्या से है. भक्त उपवास से एक दिन पहले ही तैयारी करते हैं. दोपहर में भोजन करने के बाद शाम का भोजन नहीं करते. यह सुनिश्चित करने के लिए कि अगले दिन पेट में कोई भोजन का अंश शेष न रह जाए. भक्त एकादशी के व्रत के नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं. अगले दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत को शुरु करते हैं और दिन बीतने के बाद व्रत तोड़ते हैं.

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