रायपुर /हैदराबाद : Pongal festival का मूल कृषि है. सौर पंचांग के अनुसार यह त्यौहार तमिल माह की पहली तारीख यानि 14 या 15 जनवरी को आता है. जनवरी तक तमिलनाडु में गन्ना और धान की फसल पक कर तैयार हो जाती Pongal festival 2023 है. प्रकृति की असीम कृपा से खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर किसान खुश हो जाते हैं और प्रकृति का आभार प्रकट करने के लिए इंद्र, सूर्य देव और पशु धन यानि गाय व बैल की पूजा करते हैं. पोंगल उत्सव करीब 3 से 4 दिन तक चलता है. इस दौरान घरों की साफ-सफाई और लिपाई-पुताई शुरू हो जाती है. मान्यता है कि तमिल भाषी लोग पोंगल के अवसर पर बुरी आदतों को त्याग करते हैं. इस परंपरा को पोही कहा जाता है.
पोंगल के धार्मिक कर्म कांड :Religious rituals on Pongal
1. पोंगल पर्व का पहला दिन देवराज इंद्र को समर्पित होता है इसे भोगी पोंगल कहते हैं. देवराज इंद वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं इसलिए अच्छी बारिश के लिए उनकी पूजा की जाती है और खेतों में हरियाली और जीवन में समृद्धता की कामना की जाती है. इस दिन लोग घरों में पुराने हो चुके सामानों की होली जलाते हैं. इस दौरान महिलाएं और लड़कियां अग्नि के चारों ओर लोक गीत पर नृत्य करती हैं. इस परंपरा को भोगी मंटालू कहते हैं।
2. सूर्य के उत्तरायण होने के बाद दूसरे दिन सूर्य पोंगल पर्व मनाया जाता है. इस दिन पोंगल नाम की विशेष खीर बनाई जाती है. इस मौके पर लोग खुले आंगन में हल्दी की गांठ को पीले धागे में पिरोकर पीतल या मिट्टी की हांडी के ऊपर बांधकर उसमें चावल और दाल की खिचड़ी पकाते हैं. खिचड़ी में उबाल आने पर दूध और घी डाला जाता है. खिचड़ी में उबाल या उफान आना सुख और समृद्धि का प्रतीक है. पोंगल तैयार होने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है.इस मौके पर लोग गाते-बजाते हुए एक-दूसरे की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.