छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अंदर मचा घमासान, लोकसभा चुनाव का रास्ता अब क्यों नहीं आसान - बृहस्पति सिंह
Impact Of Congress Internal Fight छत्तीसगढ़ कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में मंथन के साथ घमासान मचा हुआ है.प्रदेश में 75 पार सीटें जीतने का दावा करने वाली पार्टी से आखिर चूक कहां हुई.इस बात को लेकर छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक पार्टी मंथन कर रही है.लेकिन जिस तरह के सुर पार्टी के नेताओं छेड़े हैं. उससे तो यही लग रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई और भी ज्यादा भड़केगी.Lok Sabha elections In chhattisgarh
रायपुर :छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 35 सीटों पर सिमटकर रह गई. सत्ताधारी दल होने और कई सारी जनकल्याणकारी योजनाएं लाकर पूरे देश में जिस कांग्रेस सरकार ने सुर्खियां बटोरी थी.उस कांग्रेस की चुनाव में दुर्गति हो गई.जनता ने कांग्रेस सिर से प्रदेश पर राज करने का ताज उतारकर बीजेपी के सिर रख दिया.अब करारी हार और सत्ता चले जाने का मलाल हारे हुए विधायकों के साथ उन पूर्व विधायकों को भी है,जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था.लिहाजा अब पूर्व विधायक पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करते हुए हार का कारण गिना रहे हैं.कोई प्रदेश प्रभारी पर सवाल उठा रहा है,तो कोई शीर्ष नेताओं पर पैसे लेकर टिकट का लालच देने की बात कहकर माहौल को टाइट कर रहा है.
दो पूर्व विधायकों को किया गया निष्कासित :कांग्रेस के पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह ने हार के बाद प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और तत्कालीन डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव पर कई गंभीर आरोप लगाए.बृहस्पत ने शैलजा को हिरोइन और टीएस सिंहदेव को शूटिंग का हीरो तक बता डाला.वहीं इस आग में घी डालने का काम पूर्व विधायक विनय जायसवाल ने किया.जिन्होंने बृहस्पति सिंह के बाद प्रदेश प्रभारी चंदन यादव पर दो किस्तों में सात लाख रुपए लेने के आरोप लगाए. इन दोनों को पार्टी ने शोकॉज नोटिस जारी करके पहले तो जवाब मांगा.इसके बाद जवाब से असंतुष्ट होने पर 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
पूर्व मंत्री ने भी खड़े किए सवाल :वहीं पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने भी हार के बात अपनी मन की बात पार्टी के सामने रखी.जयसिंह अग्रवाल के मुताबिक पिछले चुनाव में पार्टी एकजुट होकर लड़ी थी.इस बार ऐसा नहीं था.पूरा चुनाव सेंट्रलाइज था.एक ही ताकत पूरी सरकार चला रही थी.मंत्रियों को जिन जिलों का प्रभार मिला था.वहां खुलकर काम नहीं करने दिया गया.इसके साथ ही जयसिंह अग्रवाल ने संगठन के सर्वे पर भी सवाल खड़े किए.जिसके बाद पार्टी ने उन्हें भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
पार्टी लाइन के बाहर बात करने वालों पर होगी कार्रवाई :कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पार्टी में अनुशासन जरूरी है. कोई भी पार्टी लाइन से बाहर जाकर किसी भी नेता खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप करता है, जो उचित नहीं है. उन्हें नोटिस दिया गया . उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला.उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई है .निष्कासन भी किया गया है. भविष्य में इस तरह के आरोप प्रत्यारोप बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.
पार्टी में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार :निष्कासन के बाद नेताओं के भूपेश बघेल से मुलाकात पर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नेताओं ने पहले ही समय ले रखा था.इसके बाद मुलाकात करने गए थे. पार्टी में प्रजातांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है. सबकी सुनवाई पार्टी में की जाती है.वहीं निष्कासित नेताओं की पार्टी में वापसी की संभावना पर सुशीला आनंद शुक्ला ने कहा कि इसका निर्णय पार्टी की अनुशासन समिति और वरिष्ठ नेता लेते हैं.
''5 साल सरकार चलाने के बाद भी हमारी पार्टी के खिलाफ एंटीइनकंबेंसी नहीं थी. बीजेपी ने जरूर अपना वोट शेयर बढ़ाया है.उन्होंने दूसरे दलों का वोट हासिल किया है. कांग्रेस का वोट बैंक हासिल नहीं कर सके हैं. इसलिए उम्मीद है कि लोकसभा में हमारा बेहतर प्रदर्शन होगा.'' सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस
आजादी के बाद से कांग्रेस में गुटबाजी :वहीं बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस में यह गुटबाजी और षड्यंत्र आज से नहीं बल्कि आजादी के बाद से है. लेकिन हार के बाद जिस तरह से नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं, कोई मर्यादा नहीं रही है.प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रभारी के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं. पैसे के लेनदेन की बात कही जा रही है. पर्दे के पीछे का अंतर्कलह खुलकर सामने देखने को मिल रहा है.लोकसभा में भी कांग्रेस का यही हश्र होने वाला है.क्योंकि जनता अब कांग्रेस को पूरी तरह से समझ चुकी है.
''पार्टी के अंदर के षड्यंत्र खुलकर सामने आ रहे हैं. कांग्रेस की आंतरिक सच्चाई जनता के बीच आ चुकी है. कांग्रेस को अपने आप को जिंदा रखना राज्य और केंद्र में बड़ा मुश्किल होगा.जिस तरह ये लोग आपस में बटे हुए हैं. उसी प्रकार प्रदेश और देश को भी बांटना चाहते हैं. कांग्रेस में कोई ईमानदार नहीं है.''- संजय श्रीवास्तव, प्रवक्ता बीजेपी
लोकसभा में कांग्रेस नेताओं को साधना बड़ी चुनौती :वहीं कांग्रेस के अंदर मचे घमासान के बारे में वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि ये आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अच्छे संकेत नहीं है.क्योंकि हार के बाद पार्टी के बड़े नेताओं से नाराज पूर्व विधायकों ने मोर्चा खोला है.कुछ पर कार्रवाई भी हुई है.ऐसे में नाराज नेताओं को अब लोकसभा चुनाव तक साधकर रखना बड़ी चुनौती होगी. चुनाव से पहले ये लग रहा था कि लोकसभा में बराबरी की लड़ाई होगी.लेकिन प्रदेश में हुई कांग्रेस की हार ने बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार कर दिया है.