रायपुर:चना और जौ को भून कर बना सत्तू सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. खासकर गर्मी के दिनों में शरबत के रूप में सत्तू पिया जाए तो शरीर को ठंडक के साथ-साथ ऊर्जा मिलती है. यह लू से भी बचाता है. पारंपरिक रूप से लोहे की कड़ाही में रेत में भूना हुआ सत्तू ही खाया जाता है. लोहे की कड़ाही में सेंके जाने के कारण चने में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है. इस तरह से तैयार चने के सत्तू में आयरन की मात्रा भी अधिक होती है. (Sattu is very beneficial for health)
इस तरह करें तैयार:गर्मी के दिनों में इसका नमकीन या मीठा सत्तू बनाकर पिया जा सकता है. नमकीन सत्तू का शरबत बनाने के लिए 2 से 3 चम्मच सत्तू में थोड़ा-सा पानी मिलाकर पेस्ट तैयार करें. इसमें करीब 500 मिली पानी मिलाएं. इसमें पुदीना, जीरा पाउडर भी डाल दें. यह ताजा ही पीना चाहिए.इसे स्टोर नहीं करें. मीठे सत्तू का शरबत बनाना चाहते हैं, तो मिश्री या गुड़ डालकर बनाएं. दूध का मीठा सत्तू भी बना सकते हैं.
इन रोगों के लिए है उपयोगी:कुछ प्रांतों में जौ और काबुली चने को भूनकर सत्तू तैयार किया जाता है. आमतौर पर काले या काबुली चने का सत्तू पिया जाता है. छिलका समेत बने हुए सत्तू को हेल्दी माना गया है लेकिन यह स्वाद में थोड़ा कड़वा होता है. भूने हुए चने के छिलके को उतार कर तैयार किया गया सत्तू स्वाद में ज्यादा अच्छा होता है. जौ का सत्तू पीने से किडनी अच्छी तरह से काम करता है. जॉइंट्स के लिए उपयोगी है. यूरिनरी ट्रैक्ट को क्लीन रखता है.जौ और ज्वार के मेडिसिनल गुण एक जैसे ही होते हैं. इन दोनों को नियमित रूप से पीने से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता है. यह बढ़े हुए कॉलेस्टेरॉल, ट्राईग्लिसरायड को भी कंट्रोल में रखता है.