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अपने बच्चों को अपनाने से पति ने किया इंकार तो पत्नी ने ली महिला आयोग की शरण - गर्भवती महिला ने लगायी छत्तीसगढ़ महिला आयोग से न्याय की गुहार

रायपुर में एक गर्भवती महिला ने छत्तीसगढ़ महिला आयोग से न्याय की गुहार लगाई है (wife reached Chhattisgarh Women Commission ). पीड़ित महिला के पति ने अपने बच्चों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था. महिला आयोग की फटकार के बाद उसने बच्चों को अपना लिया.

wife took refuge in the Women Commission
पत्नी ने ली महिला आयोग की शरण

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Published : Feb 24, 2022, 6:15 PM IST

रायपुर: अक्सर महिलाओं को पति की प्रताड़ना के साथ ताने सुनने पड़ते हैं. जिसके बाद पीड़ित महिला या तो आत्महत्या करती है या फिर अपने हक के लिए लड़ती है. रायपुर से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां बेटा न होने से नाराज पति के खिलाफ 9 माह की गर्भवती महिला आवाज उठा रही है. महिला की एक बेटी है. बेटी को पिता अपना नाम देने से इंकार कर चुका था. जिसके बाद पीड़ित महिला ने महिला आयोग की शरण ली. महिला आयोग की फटकार के बाद आखिरकार पति ने बच्ची को स्वीकार कर लिया.

महिला आयोग में चल रही सुनवाई

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की ओर से महिलाओं से सम्बंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई चल रही है. दो दिन से यह सुनवाई लगातार जारी है.सुनवाई के दौरान एक ऐसा मामला भी सामने आया था, जिसमें आवेदिका ने अपने पति के ताने से परेशान होकर शिकायत की थी. मामले में पति ने खुद के बच्चे और गर्भ में पल रहे 9 माह के बच्चे को भी स्वीकारने से इंकार कर दिया था. उसके साथ ही बच्ची के पिता का नाम किसी और के नाम पर करने की बात करता था. गर्भवती पत्नी की शिकायत के बाद आयोग ने पति को जमकर फटकार लगाई. जिसके बाद आरोपी पति ने बच्चे को स्वीकार कर लिया.

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तलाक दिए बिना कर ली दूसरी शादी

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि, बहुत से शिकायतें आयोग के समक्ष आई है. जिसका निराकरण किया जा रहा है. कई तरह के मामले सामने आ रहे हैं जिसमें से एक मामला ऐसा है कि, पति-पत्नी ने तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली है. दोनों से दो बच्चे हैं. जो रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं. अब महिला ने पूर्व पति से गुजारा भत्ता और बच्चों की अभिरक्षा मांगी गई है. आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर नायक ने कहा कि, बिना तलाक लिए दोनों पक्ष शादी कर दोषी साबित हो चुके हैं. ऐसी स्थिति में प्रकरण का निराकरण किया जाना उचित नहीं होगा क्योंकि दोनों की स्थिति वैधानिक नहीं है. बच्चों की स्थिति को देखते हुए महिला आयोग ने पूरा मामला राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेज दिया है.

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