रायपुर:चैत्र नवरात्र का आज पांचवां दिन है. जिसे पंचमी भी कहा जाता है. नवरात्र के पांचवें दिन भगवती के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकट दूर होते हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.
मां स्कंदमाता की उपासना से मोक्ष के द्वार खुलते हैं. स्कंदमाता पद्मासनी देवी के नाम से भी जानी जाती हैं. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक या इनकी आराधना करने वाला अलौकिक तेज और क्रांति से संपन्न हो जाता है. इनकी पूजा से बुद्धि और प्रखरता बढ़ती है, ज्ञान बढ़ता है. वेदारंभ संस्कार (पढ़ाई की शुरुआत) के लिए भी ये दिन बेहद शुभ माना जाता है.
भगवती स्कंदमाता का रूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. जिनमें से दो भुजाओं में कमल है. मां का एक हाथ वरदहस्त (वरमुद्रा में) है और एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) हैं.
इसलिए पड़ा स्कंदमाता नाम
भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं. ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
मां दुर्गा के नौ रूप
- प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
- द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
- तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
- चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
- पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
- षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
- सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
- अष्टमी के दिन मां महागौरी
- नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
मां स्कंदमाता की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.