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नवरात्र के दूसरे दिन पूजी जाती हैं मां ब्रह्मचारिणी, जानें विधि - ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा

नवरात्र की शुरुआत के साथ शक्ति अराधना की भी शुरुआत हो चुकी है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. कहते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सारी बाधाएं दूर होती हैं.

maa brahmacharini
मां ब्रह्मचारिणी

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Published : Apr 13, 2021, 9:03 PM IST

रायपुर: शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी पूजा की जाती है. कहते हैं माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की पूजा भगवती ब्रह्मचारिमी के रूप में की जाती है. ब्रह्म का मतलब है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली. इस तरह ब्रह्मचारिणी का मतलब हुआ तप का आचरण करने वाली.

छात्र-छात्राओं को करनी चाहिए देवी की उपासना

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. एकाग्रता बनी रहती है. छात्र-छात्राओं को विशेषकर भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है.

कुंवारी कन्याओं होता है लाभ

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से कुवांरी कन्याओं को विशिष्ट लाभ मिलता है. ऐसी कन्याएं जिनकी शादी तय हो चुकी है लेकिन विवाह अब तक हुआ नहीं है ऐसी कन्याओं की भी पूजा करने का विधान माना गया है.

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9 दिन मां के इन रूपों की होती है पूजा

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

भगवती ब्रह्मचारिणी की अराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

मंत्र:

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥

मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि:

सुबह उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर मां ब्रह्मचारिणी की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें. गाय के गोबर के उपले जलाएं और उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा अर्पित करें.

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