रायपुर:वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे (World Prematurity Day ) हर साल 17 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा मनाया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य समय से पूर्व जन्मे शिशुओं की उचित देखभाल और लोगों को जागरूक करना है. बता दें कि एक रिसर्च के अनुसार विश्व में हर 10 में से 1 बच्चा प्रीमैच्योर (premature baby) पैदा होता है. जो कि आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या है. आखिर ऐसा क्यों होता है प्रीमैच्योर डिलीवरी (Reasons for premature delivery) की वजह क्या है और प्रेगनेंसी (pregnancy) के दौरान महिलाओं को किस तरह ध्यान रखना चाहिए. डॉक्टर से किस बारे में सलाह लेनी चाहिए. इस बारे में ईटीवी भारत ने गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल (Gynecologist Dr Jyoti Jaiswal) से खास बातचीत की है.
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प्रीमैच्योर डिलीवरी की हैं कई वजहें
गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल (Gynecologist Dr Jyoti Jaiswal) ने बताया कि, पूरी दुनिया में लगभग इसी प्रकार की कंडीशन है कि 10 में से एक बच्चा प्रीमैच्योर पैदा (baby born premature) होता है. हमारे यहां पहले से थोड़ा इस मामले में सुधार हुआ है. फिर भी प्रीमैच्योरिटी (Reasons for premature delivery) सबसे बड़े कारणों में से एक कारण है नवजात बच्चे की मृत्यु का. प्रीमैच्योरिटी के बहुत सारे कारण हो सकते हैं. मेडिकल कारण हो सकते हैं. गर्भाशय में बनावटी नॉक्स के कारण हो सकते हैं और कई क्रॉनिक कंडीशन मदर की हो सकती है जिसके कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है. कई बार बहुत हेवी वर्क लोड की वजह से भी इस तरह की समस्या आती है. लेकिन ज्यादातर लोगों में अगर हम प्रीमैच्योरिटी की बात करें तो एक कारण मल्टीपल प्रेगनेंसी होता है. अभी के समय मल्टीपल प्रेगनेंसी पहले से ज्यादा देखी जा रही है.
क्योंकि इनफर्टिलिटी के लिए जागरूकता के बहुत सारे साधन उपलब्ध है. लोग इसके लिए आगे आ रहे हैं और यह समय की जरूरत भी है. हमारे पास छत्तीसगढ़ में बहुत सारे सेंटर्स भी हैं. जहां यह सब इलाज होता है. अगर किसी को मल्टीपल प्रेगनेंसी है तो उसमें ऑब्वेर्सली यूट्रस का साइज बढ़ेगा और एक पर्टिकुलर साइज तक पहुंचते-पहुंचते उसका टाइम हो जाता है कि उसको डिलीवर करना है वह एक नॉर्मल मेकैनिज्म बॉडी में शुरू हो जाता है. इसकी वजह से बच्चे प्रीमेच्योर होते हैं. इसके अलावा बच्चेदानी में अगर ऊपर का भाग 2 हिस्सों में है इस प्रकार की कोई सिचुएशन है तो उसमें बच्चे को जगह नहीं रहता है. उन कंडीशन में भी प्रीमैच्योरिटी हो सकती है तो ऐसे में मदर को पहले से जागरूक रहना जरूरी है उसके लिए पहले से ही डॉक्टर से बात करते रहना जरूरी है.
इसके अलावा जिस मदर के 5-6 महीने में अबॉर्शन हुए हैं उन लोगों में भी ज्यादा चांसेस रहते हैं प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के. जिनको पहले प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई हो उनको भी चांसेस रहते हैं कि आगे भी उनके प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है यह चांस नॉर्मल पॉपुलेशन की तुलना में बढ़ जाता है. इसके अलावा जो डायबिटिक या एनीमिया के पेशेंट है उन पेशेंट में भी प्रीमैच्योर डिलीवरी के चांसेस बढ़ते हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि जब भी ऐसी कोई कंडीशन हो तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें और पहले से मालूम है तो फॉलोअप लेते रहे.