रायपुर : अक्सर देखा जाता है कि आरटीआई के तहत सीटें खाली रह जाती हैं. जिसकी मुख्य वजह ये है कि सीटों का आवंटन काफी देर से होता है. इस वजह से अभिभावक अपने बच्चे को सिलेबस में ना पिछड़े ऐसा सोचकर दूसरे स्कूल में एडमिशन करा देते हैं.आरटीई के तहत पिछले साल सीट्स का बंटवारा काफी देर से हुआ.जिसका नतीजा ये हुआ कि स्कूलों में कई सीटें खाली रह गईं.इससे सबक लेकर इस व्यवस्था में सुधार करने की जरुरत थी.लेकिन एक बार फिर ज्यादातर स्कूलों में आरटीई की सीट्स खाली रहने की उम्मीद है.
क्या है राइट टू एजुकेशन : राइट टू एजुकेशन को देश में 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया था. 1 अप्रैल 2010 से आरटीई लागू कर दिया गया. इस योजना के तहत आठवीं कक्षा तक गैर अनुदान प्राप्त और अल्पसंख्यक प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित की जाती है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 साल के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाने का प्रावधान है.