रायपुर: कोरोना काल के दौरान छत्तीसगढ़ में हायर सेकेंडरी स्कूल 15 फरवरी से खुल गए. महज 6 दिन के अंदर तीन जिलों के स्कूलों में कोरोना के मामले मिले हैं. जिसके बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप की स्थिति है. पहले राजनांदगांव के एक निजी स्कूल में 2 छात्र और 9 स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाए गए. फिर सूरजपुर के प्रतापपुर के सरकारी स्कूल में 2 छात्र कोरोना संक्रमित मिले. उसके बाद यह सिलसिला अंबिकापुर तक जा पहुंचा. वहां भी सैनिक स्कूल में 8 कोरोना के केस सामने आए. ऐसे में ईटीवी भारत ने प्रदेश के बिलासपुर, कोरबा और सूरजपुर और सरगुजा में स्कूलों का जायजा लिया.
बिलासपुर: स्कूली बच्चों में दिखा कोरोना का डर, स्कूल नहीं पहुंच रहे छात्र-छात्राएं
बिलासपुर में ईटीवी भारत की टीम ने मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल और देवकीनंदन दीक्षित स्कूल का जायजा लिया. यहां स्कूली बच्चों पर कोरोना का डर दिखा. कोरोना के खौफ की वजह से स्कूल में छात्रों की कम उपस्थिति देखने को मिली. दोनों स्कूलों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति कम दिखी. गाइडलाइंस के मुताबिक जिन छात्रों में सर्दी जुकाम के लक्षण देखे गए उन्हें फिलहाल स्कूल आने से रोका गया है. उन्हें फिलहाल उचित उपचार की सलाह दी गई है. तमाम स्कूल प्राचार्यों को पहले से स्कूल में साफ सफाई के निर्देश दे दिए गए थे जो आज स्कूलों में देखी गई. इन दोनों स्कूल में कोरोना गाइडलाइन का पालन देखा गया.
कोरबा: स्कूलों में सैनिटाइजर की कमी
जब कोरबा में ईटीवी भारत की टीम ने स्कूलों का जायजा लिया. तो स्कूलों के पास सीमित संसाधन की बात सामने आई. कई स्कूलों को तो खुद अपने खर्च पर सैनिटाइजर की व्यवस्था करनी पड़ी. कोरोना से जंग के लिए सरकारी स्कूलों में संसाधन बेहद सीमित हैं. जांच में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विशेषज्ञ स्कूल खोलने का विरोध कर रहे हैं. तो दूसरी तरफ एक वर्ग ऐसा है जो स्कूल खोलने की वकालत कर रहा है. कोरबा के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीडब्ल्यूडी, रामपुर में कोविड 19 के गाइडलाइन के पालन की कोशिश की जा रही थी. यहां के प्रिंसिपल ने बताया कि उन्होंने सैनिटाइजर और मास्क का इंतजाम अपने स्तर पर किया है. उन्होंने बताया कि निगम की ओर से एक बार स्कूल को सैनिटाइज किया गया था.
बिलासपुर : छात्रों में दिख रहा कोरोना का डर, स्कूल आने से बच रहे छात्र
सर्दी बुखार से पीड़ित शिक्षकों को नहीं आने के निर्देश
कई स्कूल के प्राचार्य शिक्षकों पर कोरोना काल में भी स्कूल आने का दबाव बना रहे हैं. नहीं तो सीएल काट लेने की चेतावनी दे रहे हैं. जबकि पीडब्ल्यूडी, रामपुर सहित जागरूक प्राचार्यों का साफतौर पर कहना है कि राज्य शासन के निर्देश हैं कि सर्दी जुकाम से पीड़ित शिक्षकों को स्कूल न बुलाया जाए. इसके साथ ही सर्दी, जुकाम से पीड़ित छात्र छात्राओं को भी स्कूल आने से मना कर दिया गया है.
सूरजपुर: निजी स्कूलों में कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन !
सूरजपुर के निजी स्कूलों में लापरवाही की तस्वीर देखने को मिली. विश्रामपुर के राजकुमार हाई सेकेंडरी स्कूल में सरकार की गाइडलाइन और कोरोना प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन हो रहा है. यहां छोटे-छोटे बच्चों की कक्षाएं संचालित हो रही है. स्कूल प्रबंधन भी इस मामले में अपनी लापरवाही मानता दिखा. स्कूल में न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया है और न ही स्कूल में सैनिटाइजर का प्रबंध है. जब ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल प्रबंधन से बात करनी चाही तो उन्होंने इसका पूरा ठीकरा शिक्षकों पर फोड़ दिया. इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने शिक्षा विभाग से बात करने की कोशिश की तो कोई भी अधिकारी हमसे बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ.
सरगुजा: सैनिक स्कूल के प्राचार्य समेत 11 स्टाफ कोरोना संक्रमित
सरगुजा का मल्टीपरपज स्कूल रियलिटी टेस्ट में हुआ पास
ETV भारत ने सरगुजा के मल्टीपरपज स्कूल का रियलिटी टेस्ट किया. इस स्कूल का निर्माण सन 1914 में तत्कालीन सरगुजा महाराज ने किया था. इस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है. जब ईटीवी भारत की टीम स्कूल में पहुंची तो यहां 50 फीसदी छात्र-छात्राएं ही स्कूल में दिखे. 50 फीसदी बेंच खाली थी. एक बेंच के बाद दूसरी बेंच को खाली रखकर स्कूल प्रबंधन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करता दिखा. क्लास के बाहर सैनिटाइजर की बोतल रखी गई थी. छात्र-छात्राओं सहित समस्त स्टाफ मास्क लगाकर पठन-पाठन का कार्य करता दिखा. स्कूल के वाइस प्रिंसिपल के के राय ने बताया की सुबह पहली क्लास में सबसे पहले यह चेक किया जाता है कि कोई बीमार तो नहीं है. ऐसे लोगों को तुरंत घर जाकर कोरोना जांच कराने की सलाह दी जाती है. यहां सख्ती से कोरोना गाइडलाइन और शिक्षा विभाग के निर्देश का पालन किया जा रहा था.
सरगुजा से सीख लेने की जरूरत
इस तरह स्कूलों के रियलिटी टेस्ट में कई तरह के खुलासे हुए. सबसे अच्छी व्यवस्था सरगुजा के मल्टीपरपज स्कूल में देखने को मिली. ऐसे में इस स्कूल से प्रदेश के अन्य स्कूलों को कोरोना काल में शिक्षा और पठन पाठन की व्यवस्था की सीख लेनी चाहिए.