रायपुर:देशभर में गणेश उत्सव का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. देश के कोने-कोने में गणपति बप्पा को विराजमान किया जाता है. देश में गणेश उत्सव मनाने की परंपरा की शुरुआत सबसे पहले महाराष्ट्र में शुरू हुई थी. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगों को संगठित करने का काम गणेश उत्सव के दौरान गणेश पंडालों से किया और कुछ सालों बाद यह देश के सभी राज्यों में पहुंच गया.
छत्तीसगढ़ में गणेश उत्सव का महत्व:छत्तीसगढ़ में भी गणेश उत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. छत्तीसगढ़ में गणेश पूजा परंपरा से सामाजिक चेतना का विकास हुआ और राष्ट्रीय आंदोलन को गति मिली. खास तौर पर छत्तीसगढ़ में रायपुर और राजनांदगांव में गणेश प्रतिमा स्थापित करने और इसे धूमधाम से मनाने की परंपरा शुरू हुई.
125 साल से भी अधिक पुराना इतिहास: रायपुर शहर की अगर बात की जाए तो रायपुर शहर में गणेश उत्सव का इतिहास करीब 125 साल पुराना है. रायपुर में सबसे पहले पुरानी बस्ती, गुढ़ियारी और बनिया पारा में गणेश उत्सव की शुरुआत हुई. उसके बाद धीरे-धीरे गोल बाजार, सदर बाजार, लोहार चौक जैसे अलग-अलग स्थानों पर गणेश प्रतिमाएं रखनी शुरू हुई.
ये प्रथा 100 साल पुरानी: इस विषय में इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि "रायपुर शहर में गणेश प्रतिमा रख कर के उसे विसर्जित करने जानकारी 100 साल से अधिक पुरानी है. खास तौर पर पुरानी बस्ती और गुढ़ियारी के आयोजन को विशेष माना जाता था. पुरानी बस्ती के बनिया पारा में रहने वाले महरू दाऊ और लोहारपार में सुकुरु लोहार का परिवार भी पिछले 100 सालों से अधिक समय से गणपति स्थापित कर रहा है."