रायपुर / हैदराबाद :भारतीय मूल के गोआ निवासी जो कंसौलीं, अरोस्सीम और कुएलिम के अंतर्गत आते है. इस Epiphany Day 2023 को धूमधाम से मनाते हैं. इसी समुदाय के लोगों ने गोवा में बने Lady of Cures Church के निर्माण में बहुत सहायता की थी. इस उत्सव की तैयारी लगभग साल भर से चलती रहती है. तैयारी अंतिम चरण में तब आती है ,जब तीन किंग्स बनाए जाने के लिए तीन युवा लड़कों का चयन किया जाता है.चर्च में मनायें जाने वालें इस उत्सव का अपना ही महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि "दी लेडी ऑफ माउंट" लोगों की संरक्षक के रूप में जानी जाती है. लेडी ऑफ माउंट प्रजनन की देवी के रूप में भी पूजी जाती है. शादीशुदा जोड़े जिन्हें बच्चे ना होने की समस्या होती है, उन्हें प्रजनन की देवी लेडी ऑफ माउंट की पूजा करने की सलाह दी जाती है. चमत्कारिक इलाज के लिए ऐसे जोड़े जब बच्चे की चाहत करते हैं, तब वें लोग इन देवी की उपासना करते है. मान्यता है कि चॅपेल में सच्चे दिल से देवी की आराधना करने वालें अनुयाइयों की वह हर प्रार्थना सुनती Epiphany Day history है.
क्यों मनाया जाता है इपिफिनी डे : थ्री किंग्स उत्सव मुख्यतः लेडी ऑफ माउंट की पूजा के लिए ही मनाया जाता (why celebrate Epiphany Day) है. अनुयायी देवी की प्रतिमा को फूल, फूलों के हार, सोने और आभूषणों से सजाते हैं . आभार के प्रतीक के स्वरूप अपनी ओर से कई भेंट चढ़ाते हैं .हर वर्ष "दी लिट्ल स्टोन चॅपेल ऑफ नोस्सा सेन्रा डोस रीस" में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं. लेडी ऑफ माउंट के प्रति अपना आभार जताने के लिए जो उनके लिए प्रेम और विश्वास के प्रकाशस्तंभ के समान है. इस स्थान में लोग मिलकर हर्ष और उल्लास के साथ यह पर्व मनाते हैं.