रायपुर:होली त्योहार के आते ही बाजारों में भी रंग चढ़ने लगा है. रंगों से दुकानें सज चुकी हैं. कई तरह के रंग बाजार में उपलब्ध होते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों की पहली मांग हर्बल गुलाल की होती है. हर्बल गुलाल फूल, पत्तियों और फलों के साथ कई प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर बनाया जाता है.
राजधानी रायपुर के लोगों को इको फ्रेंडली होली मनाने के लिए सेरीखेड़ी गांव की महिलाएं फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं हैं. जिला पंचायत की ग्रामीण आजीविका मिशन विहान के तहत गांव की महिलाएं, स्वसहायता समूह से जुड़कर काम कर रही हैं.
इस्तेमाल किए हुए फूलों से बनाया जा रहा गुलाल
शहर के अलग-अलग इलाकों में होने वाली बड़ी-बड़ी शादी समारोह, फंक्शन, फूलों के बाजार और मंदिरों के फूलों को लाकर ये गुलाल तैयार किए जाते हैं. इसके साथ ही अच्छी बात ये है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बंगलों से भी इस्तेमाल किए हुए फूल के बुके को इक्क्ठा कर महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही है.
मल्टी यूटिलिटी सेंटर में बनाया जा रहा है गुलाल
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के विहान योजना के तहत यह सारा काम सेरीखेड़ी के मल्टी यूटिलिटी सेंटर में संचालित किया जाता है. महिला समूह के सदस्य ने बताया कि फूल की पत्तियों के बाद जो वेस्ट मटेरियल बचता है, उससे कंपोस्ट खाद भी बनाया जाता है.
300 रुपए प्रति किलों बिक रहा गुलाल
ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि जनवरी से समूह द्वारा काम किया जा रहा है और अब तक 400 किलो से ज्यादा हर्बल गुलाल महिला समूह तैयार कर रहे हैं. वहीं हर्बल गुलाल 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है.