रायपुर: लॉकडाउन ने घर के खानों में वैरायटी और लोगों के अंदर पाककला भले ला दी हो लेकिन जिनका काम यही था उन्हें भारी नुकसान हुआ है. न शादियां, न बर्थडे पार्टी, न कोई समारोह हाल ये हुआ कि कोई ये कहने वाला नहीं बचा कि मुंह तो मीठा कराओ. जिन गुलाब जामुन, काजू कतली और लड्डुओं को खरीदने और खाने के लिए लोग बेचैन होते थे, वो बेचैनी बेरोजगारी बनकर मिठाई दुकान वालों के सामने खड़ी हो गई है. छत्तीसगढ़ की 50 हजार से ज्यादा मिठाई दुकानें ग्राहकों के इंतजार में हैं, कोरोना वायरस ने हलवाइयों की जिंदगी का स्वाद फीका कर दिया है.
मिठाई दुकानदारों को लॉकडाउन की वजह से रोज करोड़ों का झटका लग रहा है. साथ ही यहां काम करने वाले तीन लाख से ज्यादा कर्मचारियों का रोजगार भी छिन गया है. बड़ी मिठाई दुकानों का धंधा सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. कई दुकान में रोज का लाखों का बिजनेस होता था. माना जा रहा है कि अब तक लॉकडाउन में सिर्फ छत्तीसगढ़ में 1 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ है.
लॉकडाउन के कारण 47 दिनों से मिठाई दुकान के शटर गिरे हुए हैं. शहर से लेकर गांव तक मिठाई दुकानों में बड़ा कारोबार होता है. छोटी मिठाई दुकानों में तो नाश्ता और चाय का भी इंतजाम होता था और कमाई भी लेकिन ये सब भी वक्त की मार से चौपट हो गया है. इन दुकानों में काम करने वाले काम बंद होने से बेरोजगार हो गए हैं, जिनकी मेहनत से दूसरों का पेट भरता था, उनके सामने खुद का भेट भरने की चुनौती खड़ी हो गई है.
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30, 000 मिठाई दुकान संचालित
राजधानी में करीब 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी मिठाई की दुकानें हैं. वहीं लगभग प्रदेश में 20, 000 से ज्यादा गांव है. हर गांव में एक दुकान तो होती ही है. गांव से लेकर शहरों तक दुकानों की संख्या देखते हैं, तो एक अनुमान के मुताबिक 30 हजार से से ज्यादा दुकानें प्रदेश में प्रभावित हो चुकी हैं. वहीं बात कमाई करें, तो एक छोटे मिठाई दुकान का औसत 1 दिन का धंधा 6000 से 8000 तक माना जाए, तो 1 दिन के 30 हजार मिठाई दुकानों के हिसाब करोड़ों में आ जाता है.