रायपुर:राज्य महिला आयोग की 83 वीं सुनवाई में 39 प्रकरण आए थे, जिनमें से 5 की सुनवाई अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य डॉ अनीता रावटे ने बुधवार को रायपुर कार्यालय में किया. मध्यप्रदेश से जुड़े एक मामले में महिला को उसका हक दिलाने का प्रयास किया गया. महिला के पति की मौत के बाद पति का भाई उसे पहचानने के इनकार कर रहा था. सबूत मिलने पर उसने अपनी गलती मानी. आयोग ने उसे फटकार लगाते हुए संपत्ति बंटवारे के लिए कहा.
केस 1:बुधवार को एक प्रकरण में अनावेदक ने अपने मूल शपथ पत्र आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया. जिससे यह पता चलता है कि आवेदिका के पिता से अनावेदक ने सीधे तौर पर विवादित जमीन नहीं खरीदा है. प्रकरण भी काफी पुराना प्रतीत होता है. इस आधार पर अयोग से अग्राह्य होने की स्तिथि में आवेदिका एवं अनावेदक के निवेदन पर अनावेदक के समस्त मूल दस्तावेजों के आयोग के अभिलेख में रखते हुए आवेदिका को समझाइश दिया गया कि अनावेदक के समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करें जिससे आगामी सुनवाई में इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा.
केस 2:एक अन्य प्रकरण में आवेदिका पत्नी अपने पति के साथ रहना चाहती है. दोनों के 2 बच्चे हैं. आयोग समझाइश पर दोनो को बच्चों के भविष्य के लिए आपसी राजीनामा के लिए तैयार हुए है. इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी में रखा गया है. 6 माह बाद इस प्रकरण पर सुनवाई होगी. इसी तरह एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी के मध्य मामूली विवाद है. आयोग की तरफ से समझाइश दिए जाने पर दोनो आपसी रजामंदी से रहने तैयार हुए. इस प्रकरण को 6 माह को निगरानी में रहते हुए निपटारा किया गया.
केस 3:एक अन्य प्रकरण में अनावेदक वरिष्ठ सहायक छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड राजनांदगांव में पदस्थ है. उन्होंने बताया कि सर्विस बुक में पत्नी का नाम दर्ज है किन्तु बच्चे का नाम दर्ज नहीं है. जिसकी प्रक्रिया अनावेदक स्वयं करेगा. उभय पक्षों को आयोग की तरफ से समझाइश दी गई. जिसमें अनावेदक पति ने 13 हजार रूपये प्रतिमाह पत्नी को भरण पोषण के लिए देना स्वीकार किया.