रायपुर : छत्तीसगढ़ में सीएम कुर्सी विवाद के बीच दिल्ली दौरे से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव रायपुर लौट आए हैं. रायपुर पहुंचने पर सिंहदेव ने कहा कि, मैं पूजा पाठ के लिए दिल्ली गया था. वहां मेरी किसी मंत्री या नेता से मुलाकात नहीं हुई है.. उन्होंने राहुल गांधी के दौरे पर बयान दिया और बोले कि उन्हें राहुल जी के दौरे की कोई जानकारी नहीं है . जब मीडिया ने पूछा कि क्या आप नाराज हैं तो उन्होंने कहा कि, हम नराज कभी नहीं थे. हम तो मुस्कुराते रहते हैं.
दिल्ली से लौटने पर सिंहदेव का बड़ा बयान मेरे समर्थकों ने शांत रहने को कहा है-सिंहदेव
सिंहदेव ने कहा कि, मुझे सलाह दी गई है कि मीडिया के सामने मास्क पहन कर रहें. कोई ऐसी चीज न बोलें जिससे कोई माहौल खराब हो. मुझे अपनी तरफ से कोई ऐसा कमेंट नहीं करना है. इस चीज का मैं ध्यान रख रहा हं. वाकई में इतनी सारी चर्चा हो गई है कि कुछ बचा नहीं है नया कहने को. पार्टी ने मुझे चुप रहने के लिए नहीं कहा है लेकिन मेरे कुछ शुभचिंतकों ने सचेत रहने के लिए कहा है. मैं वही कोशिश कर रहा हूं कि किसी भी तरह का कोई अनावश्यक विवाद न हो.
बस्तर के चिंतन शिवर पर दिया बयान
बस्तर में बीजेपी के चिंतन शिविर पर उन्होंने कहा कि बीजेपी का अपना संगठन है. वह समय-समय पर बैठकें आयोजित करते हैं. भाजपा ने पहले रायपुर में बैठकें की. फिर छत्तीसगढ़ में दो-तीन बार भाजपा प्रभारी के दौरे हो चुके हैं. यह अपनी उनकी प्रक्रिया है. सभी राजनीतिक दलों के अपने फैसले होते हैं. बीजेपी ने प्रदेश में अपने किसी चेहरे को लेकर कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि वह संगठन और पार्टी के बल बूते पर चुनाव लड़ंगे. किसी चेहरे को वह प्रेजेंट नहीं कर रहे हैं. लेकिन कल कुछ भी हो सकता है.
प्रदेश में कुर्सी के "खेला" पर मचा है घमासान
बता दें कि बीते करीब एक महीने से छत्तीसगढ़ में सीएम की कुर्सी के "खेला" को लेकर घमासान मचा हुआ है. एक तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एक-एक कर दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं. इतना ही नहीं दोनों नेताओं के शुभचिंतक मंत्री-विधायकों ने भी दिल्ली की परिक्रमा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी.
नेताओं ने आलाकमान पर छोड़ा था कप्तानी देने-छीनने का मौका
हालांकि बीते दिनों दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव दोनों ने प्रदेश में कप्तानी करने का मौका देने और छीनने का अंतिम निर्णय कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया था. दोनों ने महज इतनी ही कहा था कि प्रदेश में सरकार सुरक्षित है और आलाकमान जो भी निर्णय लेंगे, वो उन्हें मंजूर होगा.