भोपाल: कांग्रेस लगातार कृषि बिलों का विरोध कर रही है. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बिलों की मंशा और नियत पर सवाल खड़े करते हुए चौतरफा हमले किए. टीएस सिंह देव ने बताया कि कृषि में कोई भी सुधार न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किए बिना किसानों का हितैषी नहीं हो सकता. टीएस सिंहदेव मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे थे, जहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही.
सिंहदेव ने कहा कि नए बिल शोषण और छोटे किसानों के दमन का मौका देते हैं. उन्होंने बताया कि देश में 86.21% किसानों के परिवार में 5 एकड़ से कम की जोत है. क्या ऐसा किसान कारपोरेट अनुबंधों के खिलाफ मुकदमे लड़ सकता है , जो किसान पेट भरने की लड़ाई लड़ रहा है , फसल के मूल्य की लड़ाई लड़ रहा है, क्या वह वकील की फीस भी चुका सकता है.
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टीएस सिंहदेव ने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि कांट्रेक्ट फार्मिंग वर्तमान परिस्थितियों में शोषण और किसानों की लूट को हवा देने का हथियार बन गया है. उन्होंने बताया कि गुजरात में पेप्सिको कंपनी कई किसानों पर लीज में लगने वाले आलू पैदा करने के खिलाफ मुकदमे लगा रही है. स्वयं प्रधानमंत्री उन किसानों की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं. अनुबंधों में बताया जाएगा कि यदि ऐसा ही पूरे देश में 1 एकड़ या 2 एकड़ की होल्डिंग रखने वाले किसानों के साथ हुआ, तो सरकार उसे क्या संरक्षण दे पाएगी.
टीएस सिंहदेव ने कहा कि बीजेपी की नियत तो शांताकुमार कमेटी से ही जाहिर हो चुकी थी. उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार कहती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म नहीं होगा, तो इसे बिलों में लिखने में क्या आपत्ति है. सरकार ने उसे बिलों में क्यों नहीं लिखा. उलटे बिलों में यही लिखा गया कि जब तक व्यापारी 100 के 200 रूपये कमाता है, तब तक सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी, यानी मध्यस्थता तब शुरू होगी, जब 100 का माल 201 में बेचा जाएगा.