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TEEJ: हरतालिका तीज आज, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और मान्यताएं

हरतालिका तीज को छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व के नाम से जाना जाता है. तीज भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का दिन है. ये सुहागिनों का विशेष पर्व है. छत्तीसगढ़ में इस त्योहार को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. ज्यादातर विवाहित महिलाएं अपने मायके में इस त्योहार को मनाती हैं.

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Published : Sep 1, 2019, 12:01 AM IST

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रायपुर: पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं. तीज भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का दिन है. ये सुहागिनों का विशेष पर्व है. इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है. पूजा-आरती के साथ रात्रि जागरण महिलाएं करती हैं.

हरतालिका तीज

हरतालिका तीज को छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व के नाम से जाना जाता है. भादो मास की तृतिया को तीज मनाई जाती है. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. वहीं अविवाहित लड़कियां सुयोग्य वर के लिए भगवान शिव की उपासना करती है और व्रत रखती हैं. छत्तीसगढ़ में इस त्योहार को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. ज्यादातर विवाहित महिलाएं अपने मायके में इस त्योहार को मनाती हैं.

ज्योतिषाचार्य ने बताया मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य अरुणेश शर्मा ने बताया कि तीज 1 सितंबर को है. तीज की तिथि रविवार सुबह 8 बजकर 26 मिनट से सोमवार सुबह 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. तिथि पूर्ण होने पर पारण किया जाएगा. 2 सितंबर को गणेश चौथ मनाई जाएगी. गणेश चौथ की पूजा के बाद महिलाएं अपना व्रत पूर्ण कर सकती हैं.

प्रथम आरती पूजा के लिए शाम का 6.30 से 9 बजे अच्छा मुहूर्त बन रहा है. इसके बाद विभिन्न पहरों में अलग अलग पूजा विधा की जा सकती है.

हरतालिका तीज की धार्मिक मान्यता

  • भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने कठोर तप किया था.
  • भादो माह की शुक्ल तृतीया के दिन माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की.
  • इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया.
  • उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया, तभी से महिलाएं सद सौभाग्यवती का वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं.

छत्तीसगढ़ में किस तरह मनाया जाता है तीजा

  • छत्तीसगढ़ में तीज के एक दिन पहले शाम को करू-भात खाने की परंपरा है. इसके तहत तीज उपवास रखने वाली महिलाएं रात में करेला और चावल खाती हैं और इसके बाद वे कुछ नहीं खाती.
  • सोने से पहले चिरचिरा या महुआ के डाली से बनाए गए दातुन को करने का भी रिवाज है.
  • महिलाएं और लड़कियां सुबह से उठकर स्नानकर भगवान शिव की उपासना में जुट जाती हैं. इसके बाद दिनभर भजन-कीर्तन में गुजारा जाता है.
  • शिव मंदिरों में खास तौर पर फूलों का झूला जिसे फुलहरा भी कहा जाता है का निर्माण किया जाता है.
  • रात में भगवान शिव की पूजा और भजन के साथ जागरण किया जाता है.
  • दूसरे दिन सुबह भगवान शिव की आरती के बाद महिलाएं अपना व्रत खत्म करती हैं.


तीज के मौके पर बनने वाले खास व्यंजन

  • तीज के मौके पर छत्तीसगढ़ में पारंपरिक व्यंजन जैसे ठेठरी-खुरमी, अरसा, गुझिया आदि बनाया जाता है.
  • वैसे तो 24 घंटे से निर्जला रहने के बाद सुबह महिलाएं खट्टी कढ़ी और चावल खाकर उपवास खत्म करना पसंद करती हैं लेकिन पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका परिवार के सभी सदस्य उठाते हैं.
  • तीज पर्व मनाने मायके आई बहन और बेटियों को सम्मान के साथ साड़ी भेंट की जाती है. इसी के चलते बाजार में खास तौर पर कपड़ों की दुकानों में खासी रौनक रहती है.

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