रायपुर: छत्तीसगढ़ का एक ऐसा शख्स जिसे प्रदेश की जनता जानती तक नहीं लेकिन उन्होंने अपनी विद्वता के यहां छाप छोड़े हैं. रायपुर में एक ऐसे जीनियस हुआ करते थे, जो कभी रायपुर की शान थे और उनके प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती थी. हम बात कर रहे हैं अद्भुत प्रतिभा के धनी महान भाषाविद हरिनाथ डे की, जिनका लालन-पालन और शिक्षा-दीक्षा रायपुर में हुआ था. वे रायबहादुर भूतनाथ डे जैसे विद्वान पिता के सन्तान थे. भूतनाथ डे 20 वर्षों (1880 से 1900) तक रायपुर म्यूनिसिपल के सेक्रेटरी रहे. यही कारण है कि हरिनाथ डे का लालन-पालन रायपुर में हुआ.
छत्तीसगढ़ के महान जीनियस हरिनाथ डे 36 भाषाओं के ज्ञाता थे हरिनाथ डे:साल 1877 में जन्मे हरिनाथ डे दुनिया की 36 भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्हें ग्रीक, लैटिन, जर्मन, इटालियन, फ्रेंच, स्पेनिश, पुर्तगीज, उर्दू, अरबी, संस्कृत, जापानीज, चाइनीज जैसे 36 भाषाओं का ज्ञान था. तत्कालीन गवर्नर जनरल भी उन्हें जीनियस मानते थे. इस विषय में साहित्यकार रमेश अनुपम बताते हैं कि तत्कालीन गवर्नर जनरल इंडिया लॉर्ड कर्जन ने कहा था कि इस समय भारत में जो ढाई जीनियस हैं, उनमें से एक पूरा जीनियस मैं हरिनाथ जी को मानता हूं. इसी तरह एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के डॉक्टर ए.ए. सुहारावर्दी कहते हैं कि महाराजा आते जाते रहते हैं पर हरिनाथ जैसे जीनियस हमेशा जीवित रहेंगे. उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर अंग्रेज द्वारा उन्हें कोलकाता की प्रसिद्ध लाइब्रेरी इंपीरियल लाइब्रेरी (वर्तमान में नेशनल लाइब्रेरी) का लाइब्रेरियन नियुक्त किया गया था.
34 वर्ष की उम्र में निधन: प्रतिभा के धनी हरिनाथ डे एक महान जीनियस थे जिनका लोहा पूरी दुनिया मानती थी. मात्र 34 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. साल 1911 में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.हरिनाथ डे जब 6 माह के थे, तब वे अपने पिता भूतनाथ डे और माता एलोकेशी डे के साथ नागपुर से रायपुर आए थे. आज कोतवाली से कालीबाड़ी चौक की ओर जाने वाले मार्ग पर डे भवन मौजूद है. इसी डे भवन में जीनियस हरिनाथ डे का बचपन और किशोरावस्था बीता. डे भवन के अंदर घुसते ही एक बड़ा पत्थर लगा हुआ है. उस पत्थर में उन 36 भाषाओं का भी उल्लेख है. जिसके ज्ञाता हरिनाथ डे हुआ करते थे. वो जिस डे भवन में रहा करते थे, आज वहां उनके नाम से स्कूल संचालित हो रहा है.
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इस विषय में इतिहासकार रमेश अनुपम कहते हैं कि हरिनाथ डे जीनियस थे, उनका लालन-पालन और प्राथमिक शिक्षा रायपुर में ही संपन्न हुई थी. उन्हें पूरी दुनिया इसलिए जीनियस मानती है क्योंकि 34 साल की उम्र में 36 भाषाओं का ज्ञान उन्हें था. 36 भाषाओं का ज्ञान होना कोई छोटी-मोटी बात नहीं होती. यह माना जाता है कि दुनिया में कोई भी शख्स हरिनाथ डे जैसा जीनियस नहीं हो सका. हरिनाथ डे पढ़ाई में भी बेहद होशियार थे. इनका सलेक्शन 1900 आईसीएस में हुआ था. लेकिन उन्होंने सिविल सर्विस में जाना पसंद नहीं था. 1901 में उनका चयन इंडियन एजुकेशन सर्विस (आईईएस) में हुआ और उसे उन्होंने ज्वाइन किया. साल 1907 में वे कोलकाता स्थित नेशनल लाइब्रेरी के पहले लाइब्रेरियन बने. इस तरह की बड़ी उपलब्धि हरिनाथ डे के साथ रही. भले ही छत्तीसगढ़ के लोगों ने हरिनाथ डे जैसे महान जीनियस को भुला दिया हो लेकिन गाहे-बगाहे जानकार लोगों की जुबां पर उनका नाम आ ही जाता है. यहां कुछ ही लोग ऐसे हैं जो हरिनाथ डे को जानते हैं.