रायपुर: प्रदोष व्रत 1 जून को चित्रा नक्षत्र और उपरांत स्वाति नक्षत्र के वरियान योग, बालव और कौलवकरण में गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. गुरुवार को मनाने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है. कई जगहों पर इस दिन से वट सावित्री व्रत की शुरुआत भी होती है. ये दिन गृह प्रवेश, जलाशय निर्माण, नवरत्न धारण के लिए परम योगकारक माना जाता है. यह दिन भगवान शिव की भक्ति, आराधना, साधना, पूजा और तपस्या का व्रत है.
ऐसे करें शिवजी का श्रृंगार:ये व्रत भोलेनाथ को समर्पित माना जाता है. इस दिन व्रत करने से कुवारी कन्या को मनचाहा वर मिलता है. अपने शरीर धर्म को समझते हुए एकासना फलाहारी, निर्जला अथवा सात्विक अन्य में व्रत करना चाहिए. यह व्रत पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ करनी चाहिए. इस दिन सफेद कपड़ा पहनकर साधना करनी चाहिए. श्वेत वस्त्र से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. श्वेत वस्त्र पहन शिवालय में जाकर भगवान भोलेनाथ जी को दूध, दही, पंचामृत, गंगा जल अथवा गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को चंदन, अष्ट चंदन, गोपी चंदन, माल्याचल चंदन आदि माध्यम से सुंदर श्रृंगार करना चाहिए. बेल पत्र, धतूरा, आक के फूल से भगवान का श्रृंगार और अभिषेक किया जाता है.