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Guru Nanak Jayanti 2022 गुरुनानक जयंती का महत्व

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Published : Nov 7, 2022, 2:11 PM IST

कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली होती है. लेकिन उसके पंद्रह दिन बाद यानी कि कार्तिक की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस साल 8 नवंबर को गुरुनानक जयंती है. आपको बता दें कि सिख धर्म के लोग कई दिनों पूर्व ही गुरुद्वारों में सेवा कार्यक्रम आयोजित करने लगते हैं. इस दिन ढोल मंजीरों के साथ प्रभातफेरियां भी निकाली जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है? आज हम आपको गुरुनानक जयंती से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं.

Guru Nanak Jayanti 2022
गुरुनानक जयंती का महत्व

रायपुर : गुरु नानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. इसलिए इस दिन को सिख धर्म के लोग मुख्य त्यौहार की तरह से मानते हैं. गुरु नानक देव जी कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 में पैदा हुए. गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी में हुआ था. गुरु नानक देव जी को सिख समुदाय के पहले गुरु और इस धर्म का संस्थापक भी माना जाता है. उन्होंने कई सारे देशों में भी अपने उपदेश दिए थे. इसलिए उन्हें नानक लामा नाम से भी जाना जाता है. गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी को मानव समाज के कल्याण और उनकी भलाई के लिए समर्पित किया था.Guru Nanak Jayanti 2022

गुरुनानक देव ने किसे बनाया उत्तराधिकारी :आपको बता दें कि गुरु नानक देव ने मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने (Guru Nanak Jayanti Date History Importance) गए. फिर गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने. आपको बता दें कि हर वर्ष गुरु नानक जयंती के मौके पर सुबह से शाम तक गुरुद्वारों में प्रार्थना और दर्शन का दौर चलता रहता (Guru Nanak Jayanti Significance) है.

गुरुनानक जयंती का महत्व : इस पर्व का महत्व इसलिए (Significance of Gurpurab ) है,क्योंकि गुरु नानक देव जी का जन्मदिन होने के साथ-साथ इस दिन लोगों की सेवा करना बहुत जरूरी मानते हैं. साथ ही गुरु की शिक्षाओं को याद करने के लिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारों की साफ-सफाई करने के बाद गुरद्वारों को सजाते हैं. इसके बाद नगर कीर्तन के साथ प्रभातफेरी भी निकाली जाती है. प्रभातफेरी गुरुद्वारे से शुरू होती है और नगर में फिरने के बाद गुरुद्वारे तक वापस आती है. गुरु नानक जयंती के दो दिन पहले ही गुरुद्वारों पर गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है.इसके बाद कई गुरुद्वारों पर लंगर का आयोजन भी किया जाता है.Gurpurab Sacred Day

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