रायपुर:छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता सैकड़ों हजारों साल पुरानी है. वहीं छत्तीसगढ़ की संस्कृति में आदिवासी और वनवासियों का बहुत ही अमह रोल है. अभी भी छत्तीसगढ़ का 40% हिस्सा जंगलों से ढका है. यहां की परंपरा और सभ्यता पूरे दुनिया में काफी मशहूर है. यही कारण है कि हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक छत्तीसगढ़ घूमने आते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की बात करें तो यह 1 लाख 35 हज़ार 194 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. वहीं छत्तीसगढ़ में सैकड़ों पर्यटक स्थल और मंदिर हैं. अगर कोई व्यक्ति छत्तीसगढ़ घूमने आता है तो उसे पूरा छत्तीसगढ़ घूमने में कई दिन लग जाएंगे लेकिन राजधानी रायपुर के मध्य में गुरु घासीदास संग्रहालय है जहां पर्यटक एक ही दिन में पूरा छत्तीसगढ़ घूम सकते हैं.
एक ही दिन में पर्यटक जान सकते हैं छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता
राजधानी रायपुर के घड़ी चौक स्थित गुरु घासीदास संग्रहालय में मिनी छत्तीसगढ़ बसा हुआ है. अगर कोई भी पर्यटक 1 दिन में छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति , सभ्यता , छत्तीसगढ़ का रहन सहन , छत्तीसगढ़ की खुदाई के दौरान मिली मूर्ति , प्राचीन मंदिर, छत्तीसगढ़ के प्राचीन आभूषण, शस्त्र के बारे में जानना चाहें तो वह गुरु घासीदास संग्रहालय घूम सकते हैं. यहां एक ही दिन में किसी भी पर्यटक को पूरे छत्तीसगढ़ के दर्शन हो जाएंगे.
छत्तीसगढ़ की मिट्टी में बसी है आदिवासी संस्कृति और सभ्यता की महक
गुरु घासीदास संग्रहालय के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि, रायपुर अगर कोई पर्यटक आता है और अगर उसे पूरे छत्तीसगढ़ के बारे में जानना है तो राजधानी रायपुर के बीचो-बीच गुरु घासीदास संग्रहालय है. जिसका निर्माण 1875 में हुआ था. यहां पर आने से छत्तीसगढ़ जो दक्षिण कौशल के नाम से भी विख्यात था उसके भव्यता के बारे में यहां पता चल सकता है. गुरु घासीदास संग्रहालय में पुराने लेख , आदिवासियों और वनवासियों से जुड़ी संस्कृति , राज्य संरक्षित स्मारकों की प्रतिकृतियां , फोटोग्राफ्स और छत्तीसगढ़ में खुदाई के दौरान जितनी भी प्राचीन मूर्तियां मिली हुई है वह भी यहां पर मौजूद है.