GPS and panic button in buses: छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग की बड़ी पहल, जीपीएस और पैनिक बटन से लैस होंगी बसें
GPS and panic button in buses छत्तीसगढ़ में बसों में स्कूली बच्चों और महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए नई पहल की जा रही है. छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग ने प्रदेश के निजी बसों में जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन लगाने का निर्णय लिया है. इससे बस की पल-पल की जानकारी मिल सकेगी. साथ ही किसी प्रकार की घटना या हादसा होने पर पुलिस फौरन मदद के लिए पहुंच सकेगी.
बसों में जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन
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Published : Jul 9, 2023, 10:38 AM IST
रायपुर: महिलाओं एवं स्कूल बसों में विद्यार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ के निजी बसों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाने की तैयारी है. पैनिक बटन लगने से बस में किसी प्रकार की दुर्घटना, छेड़छाड़ होने पर तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना मिल जाएगी. इसके साथ ही जीपीएस लगने से बसों का लोकेशन भी पता चलता रहेगा. इससे बस चालकों की मनमानी और हादसे की आशंका भी कम हो जाएगी.
बसों के मूवमेंट पर रहेगी पुलिस की नजर: छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग के मुताबिक, इस व्यवस्था के शुरू होने से जनता को किसी तरह के खतरे तथा अनहोनी से निपटने में काफी मदद मिलेगी. वर्तमान में प्रदेश में कुल 12 हजार बसें संचालित हो रही हैं. जो अलग-अलग रूट से प्रदेश के कोने-कोने तक जा रही हैं. इसी तरह राज्य में लगभग 6000 स्कूल बस भी संचालित है. बसों में पैनिक बटन और जीपीएस के लगने से बसों की पल-पल की जानकारी मिलेगी.
स्कूल बस का तय किया जाएगा रूट: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में इस दिशा में काम करने के निर्देश दिये गया था. छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग द्वारा सुगम यातायात व्यवस्था के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत स्कूल बस के रूट में भी मैप रहेगा. ताकि स्कूल बस यदि बच्चों को लेकर निर्धारित रूट के अलावा कहीं जाये, तो ऑटोमैटिक अलर्ट आ जाये.
"प्रदेश में चलने वाली निजी बसों में जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन लगाने का निर्णय लिया गया है. इससे बस की पल-पल की जानकारी मिल सकेगी. किसी प्रकार की घटना या हादसा होने पर इसकी जानकारी पुलिस तक तुरंत पहुंचने से समय पर महिलाओं और बच्चों को मदद मिल सकेगी." - दीपांशु काबरा, आयुक्त, छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग
सिस्टम ऐसे करेगा काम: कंट्रोल रूम में शिफ्ट के हिसाब से चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी. जो लगातार सभी बस को मॉनिटर करते रहेंगे. इमरजेंसी की स्थिति में पुलिस विभाग को सूचित करेंगे. पैनिक बटन के दबते ही पुलिस कंट्रोल रूम और परिवहन कंट्रोल रूम को जानकारी मिलेगी. जिसके बाद नजदीकी पुलिस थाने के जवान तुरंत बस तक पहुंचकर यात्रियों की मदद करेंगे.
निर्भया कमांड सेंटर तैयार: ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस एक ऐसा उपकरण है, जिसे अगर गाड़ी में फिट कर दिया जाए. तो एक निर्धारित सर्वर पर गाड़ी का लोकेशन पता लगाया जा सकता है. जीपीएस सिस्टम लगने से आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगेगा. बसों के सही रूट की जानकारी मिल सकेगी. सुरक्षा के लिए राज्य के सभी स्कूल बस और यात्री बस को पैनिक बटन और जीपीएस से लैस कर मॉनिटर किया जायेगा. इसके लिए निर्भया कमांड सेंटर बन कर तैयार हो चुका है. जीपीएस सिस्टम का कंट्रोल रूम डायल 112 के कार्यालय में बनाया गया है.
निर्भया मामले के बाद मिले थे निर्देश:दिल्ली में हुए निर्भया प्रकरण के बाद से ही केंद्र सरकार ने महिला सुरक्षा की दिशा में कदम उठाने के लिये निर्देश दिए थे, ताकि इस तरह के प्रकरण की पुनरावृत्ति न हो. सभी यात्री वाहनो को ट्रैक करने के लिए यात्री वाहनों में जीपीएस लगाकर व्हीकल ट्रैकिंग प्लेटफ़ार्म के माध्यम से ट्रैकिंग करने का निर्णय लिया गया. व्हीकल ट्रैकिंग सॉफ्टवेर को चिप्स के माध्यम से बनाया गया है और समस्त गाड़ी के लाइव ट्रैकिंग देखने और त्वरित कार्यवाही करने के लिए सिविल लाइंस रायपुर में स्थित डायल 112 भवन में ही कमांड और कंट्रोल सेंटर भी बनाया गया है.