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आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल ने मांगी जानकारी, कांग्रेस ने राजनीति का लगाया आरोप

छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर अब तक राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. राज्यपाल ने आरक्षण को लेकर तय किए गए फॉर्मूले को लेकर कानूनी सलाह ली. जिसके बाद राज्य शासन को 10 बिंदुओं पर प्रश्न किया. वहीं अब राज्यपाल के प्रश्नों का जवाब देने को लेकर कांग्रेस राज्यपाल के निर्णय पर ही सवाल उठा रही है. कांग्रेस के मुताबिक यदि विधेयक को लेकर किसी भी बात की शंका थी तो सवालों को विधेयक के साथ राज्य सरकार के पास भेजना था. Politics on reservation bill in Chhattisgarh

Governor asked for information on reservation bill
आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल ने मांगी जानकारी

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Published : Dec 15, 2022, 5:11 PM IST

Updated : Dec 15, 2022, 7:26 PM IST

आरक्षण विधेयक को लेकर राजनीति का आरोप

रायपुर :छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे को लेकर प्रदेश में राजनीति गरमा गई है. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आरक्षण बिल को लेकर राज्य सरकार से 10 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि '' यह आरक्षण बिल विधानसभा से सर्वसम्मति से पास करने के बाद राजभवन को भेजा गया था. उस पर राज्यपाल को तत्काल हस्ताक्षर करना था. नियमत: जो सवाल राज्यपाल के द्वारा किए गए हैं उन सवालों को विधेयक के साथ राज्य सरकार को भेजना था. क्योंकि नियम के तहत राजभवन की ओर से इस विधेयक में ना तो एक शब्द जोड़ा जा सकता है और ना ही घटाया जा सकता है. इन सवालों के साथ विधेयक को राज्य सरकार के पास लाया जाता तो जरूर उन सवालों का निराकरण कर शंका समाधान किया जाता.'' Politics on reservation bill in Chhattisgarh

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ''जिस तरह से 10 सवाल किए गए हैं इससे लगता है कि राजनीति की जा रही है. राजभवन और भाजपा के द्वारा जिस प्रकार बयान दिया जा रहा. उसके अनुसार ही सवाल कर रही है. जो उचित नहीं है. यह आरक्षण संशोधन विधेयक छत्तीसगढ़ के सभी समाज के हित में सरकार ने बनाया है तीन चौथाई बहुमत से चुनी गई सरकार यह कानून बनाया है. इस पर अवरोध पैदा नहीं करना चाहिए. ये लोगों की जन भावनाओं का अपमान करना है.''

राज्यपाल ने 10 बिंदुओं पर मांगा है जवाब :बता दें कि राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने शासन से 10 बिंदुओं पर जवाब मांगा है कि किस आधार पर अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. राजभवन की ओर से जो पत्र शासन को भेजा गया है, उसमें यह खास तौर पर लिखा गया है कि उनके विधिक सलाहकार ने जो अभिमत दिया है, उस आधार पर जानकारियां मांगी है. Governor asked for information on reservation bill



किन 10 बिंदुओं पर राज्यपाल ने मांगा है जवाब :आईए आपको बताते हैं कि राज्यपाल ने किन बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

1. क्या अनुसूचित जाति और जनजाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया है।
2. इंदिरा साहनी केस में उल्लेखित विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियां कौन सी हैं?
3. हाईकोर्ट के आदेश के ढाई महीने बाद ऐसी कौन सी परिस्थितियां बनीं, जिसके आधार पर आरक्षण में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई?
4. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्ति किस प्रकार राज्य में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं?
5. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और जनजाति के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन को ज्ञात करने के लिए कौन सी कमेटी बनाई गई?
6. क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत करें।
7. अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है?
8. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संविधान के अनुच्छेद 16(6) के तहत पृथक अधिनियम लाना चाहिए था?
9. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य राज्य की सेवाओं में क्या चयनित नहीं हो रहे हैं?
10. क्या 76 प्रतिशत आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है। इस संबंध में क्या कोई सर्वेक्षण किया गया है?

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कब पेश हुआ था संशोधन विधेयक :गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से एक दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया. इस पर चर्चा के बाद 2 दिसंबर को संशोधन पारित किया गया. इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इसे लेकर राज्य सरकार के पांच मंत्री दो दिसंबर को ही राज्यपाल उइके के पास पहुंचे. तब से लेकर अब तक राज्यपाल के दस्तखत नहीं हुए हैं.Reservation Amendment Bill in Chhattisgarh

Last Updated : Dec 15, 2022, 7:26 PM IST

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