रायपुर: कोरोना संकट के मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने और बचत को बढ़ाने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री की आपात बैठक के बाद वित्त विभाग ने कई बड़े फैसले लिए हैं. इन फैसलों में कर्मचारियों के इंक्रीमेंट पर भी रोक लगा दिया गया है, साथ ही एरियर्स के भुगतान पर भी एक साल की रोक लगा दी गई है.
सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेशभर में कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई है. कर्मचारी संगठनों ने सरकार के फैसले का विरोध किया है. राजधानी रायपुर में ही अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर मंत्रालय से लेकर जिला मुख्यालयों तक प्रदर्शन और ज्ञापन देने का दौर शुरू हो चुका है.
कर्मचारी संघ की आंदोलन की चेतावनी
अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के प्रवक्ता विजय झा का कहना है कि वह लगातार कोरोना काल में अपनी सेवा दे रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक अपने एक-एक दिन का वेतन भी मुख्यमंत्री सहायता राशि में दे दिया. इन सबके बावजूद सरकार उनका इंक्रीमेंट रोक रही है. कर्मचारी संघ ने ये चेतावनी भी दी है कि सरकार फैसला वापस नहीं लेती है तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा.
फैसला निराशाजनक: वित्त विशेषज्ञ
कर्मचारियों को हर साल 3.3 प्रतिशत इंक्रीमेंट मिला करता था. इस साल जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में इन्हें बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिलेगा. वहीं डीए पर सरकार ने पहले ही रोक लगा रखी है.
अर्थशास्त्री डॉ. विनोद जोशी ने ETV भारत से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के कोरोनाकाल में लिए गए कई निर्णय वाकई बेहद जरूरी थे. जैसे कि बड़े होटलों पर आयोजनों पर रोक लगाना और फिजूलखर्च कम करना जरूरी था, लेकिन नई भर्ती रोकना और इंक्रीमेंट के एवज में महज 3 प्रतिशत की वृद्धि रोकना कर्मचारी संगठनों और अधिकारियों को निराश कर सकता है.