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SPECIAL: इंक्रीमेंट रोकने पर नाराजगी, अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने दी आंदोलन की चेतावनी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम हाउस में तमाम मंत्रियों और आला अधिकारियों की बैठक लेकर वित्त विभाग से संबंधित कई बड़े निर्णय लिए हैं. इन फैसलों में सरकारी खर्च कम करने पर ही फोकस किया गया है. इन फैसलों में अधिकारी-कर्मचारियों के इंक्रीमेंट रोके जाने का फैसला भी शामिल है. रायपुर में अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने इसका विरोध किया है और उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

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छत्तीसगढ़ सरकार के इंक्रीमेंट रोकने पर अधिकारी-कर्मचारी का विरोध

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Published : May 31, 2020, 7:08 PM IST

रायपुर: कोरोना संकट के मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने और बचत को बढ़ाने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री की आपात बैठक के बाद वित्त विभाग ने कई बड़े फैसले लिए हैं. इन फैसलों में कर्मचारियों के इंक्रीमेंट पर भी रोक लगा दिया गया है, साथ ही एरियर्स के भुगतान पर भी एक साल की रोक लगा दी गई है.

छत्तीसगढ़ सरकार के इंक्रीमेंट रोकने पर अधिकारी-कर्मचारी का विरोध

सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेशभर में कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई है. कर्मचारी संगठनों ने सरकार के फैसले का विरोध किया है. राजधानी रायपुर में ही अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर मंत्रालय से लेकर जिला मुख्यालयों तक प्रदर्शन और ज्ञापन देने का दौर शुरू हो चुका है.

राज्य सरकार के फैसले का विरोध करते कर्मचारी

कर्मचारी संघ की आंदोलन की चेतावनी

अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के प्रवक्ता विजय झा का कहना है कि वह लगातार कोरोना काल में अपनी सेवा दे रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक अपने एक-एक दिन का वेतन भी मुख्यमंत्री सहायता राशि में दे दिया. इन सबके बावजूद सरकार उनका इंक्रीमेंट रोक रही है. कर्मचारी संघ ने ये चेतावनी भी दी है कि सरकार फैसला वापस नहीं लेती है तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा.

फैसला निराशाजनक: वित्त विशेषज्ञ

कर्मचारियों को हर साल 3.3 प्रतिशत इंक्रीमेंट मिला करता था. इस साल जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में इन्हें बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिलेगा. वहीं डीए पर सरकार ने पहले ही रोक लगा रखी है.

अर्थशास्त्री डॉ. विनोद जोशी ने ETV भारत से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के कोरोनाकाल में लिए गए कई निर्णय वाकई बेहद जरूरी थे. जैसे कि बड़े होटलों पर आयोजनों पर रोक लगाना और फिजूलखर्च कम करना जरूरी था, लेकिन नई भर्ती रोकना और इंक्रीमेंट के एवज में महज 3 प्रतिशत की वृद्धि रोकना कर्मचारी संगठनों और अधिकारियों को निराश कर सकता है.

सरकारी खर्चों में कटौती का फैसला

कोरोना वायरस को लेकर पिछले 2 महीने से चल रहे लॉकडाउन का इफेक्ट अब तमाम क्षेत्रों में दिखने लगा है. शुरुआती दौर में प्राइवेट सेक्टरों में ही इसका असर दिख रहा था, लेकिन अब सरकारी क्षेत्रों में भी कोरोना महामारी का साइड इफेक्ट दिख रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी कई क्षेत्रों में पैसों की कटौती को लेकर अहम फैसले लिए हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम हाउस में तमाम मंत्रियों और आला अधिकारियों की बैठक लेकर वित्त विभाग से संबंधित कई बड़े निर्णय लिए हैं. इन फैसलों में सरकारी खर्च कम करने पर ही फोकस किया गया है.

⦁ खर्च कम करने के लिए तमाम बड़े आयोजनों पर रोक लगाई गई है.

⦁ राज्य सरकार ने ना सिर्फ आगामी खर्चों को बल्कि पिछले खर्चों में भी कटौती करने के कई निर्णय लिए हैं.

⦁ अफसर और बिजनेस क्लास के अधिकारियों की हवाई यात्रा और फर्स्ट क्लास ट्रेन में सफर भी करने पर रोक लगाई गई है.

⦁ साथ ही नई गाड़ियों की खरीदी, महंगे होटलों में बैठक और सेमिनार जैसे आयोजनों पर भी रोक लगाया गया है.

⦁ राज्य सरकार ने इसके अलावा नई भर्तियों पर भी रोक लगा दी है, अति आवश्यक होने पर वित्त विभाग की अनुमति के बाद ही नई भर्तियां हो पाएंगी.

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