रायपुर:केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अपना वित्तीय बजट पेश किया. इस बजट को लेकर एक ओर जहां हेल्थ सेक्टर में बढ़ोतरी की गई तो वहीं शासकीय कर्मचारी वर्ग कुछ नहीं मिलने से नाराज है.
आम बजट को लेकर शासकीय कर्मचारी हताश 'पेंशन को लेकर कोई प्रावधान नहीं'
ETV भारत ने पेश किए गए आम बजट को लेकर कर्मचारियों से बात की. छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय तिवारी ने कहा कि कर्मचारी वर्ग को लेकर बजट में कुछ खास प्रस्तुत नहीं किया गया है. 2 अक्टूबर 2004 से पेंशन बंद कर दिया गया. उस पेशन को केंद्र सरकार ने लागू करने कोई प्रावधान नहीं किया. तिवारी ने कहा कि कुछ दिन के लिए भी सांसद, विधायक बन जाए तो वे पेंशन के लिए पात्र हो जाते हैं. 2004 से कर्मचारियों की पेंशन बंद है. कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन बेहद जरूरी होती है लेकिन इसका कोई प्रावधान नहीं रखा गया.
नए रोजगार पर जोर नहीं
तिवारी ने कहा कि देश में लाखों पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार हैं. बहुत से युवा अनियमित और संविदा में काम कर रहे हैं. इसको बंद कर उन्हें नियमित करना चाहिए लेकिन नियमित करने का कोई भी प्रावधान बजट में नहीं लाया गया.
इनकम टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं
शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय तिवारी ने कहा कि यह बहुत ही दुखद बात है. इनकम टैक्स स्लैब में कोई छूट नहीं दी गई है. इसी तरह सातवां वेतनमान लागू किया गया, लेकिन उसके बहुत सारे भत्ते भी अब तक नहीं दिए गए. बजट में इसे लेकर भी कोई प्रावधान नहीं है.
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कोरोना भत्ता भी नहीं
अजय तिवारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान केंद्र और राज्य के कर्मचारी जी जान से जुटे हुए हैं लेकिन कोरोना भत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया.
वेतन विसंगतियों पर भी नहीं दिया गया ध्यान
वेतन विसंगतियों को लेकर भी अजय तिवारी ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि वेतन विसंगतियों को लेकर भी इस बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा गया.कुल मिलाकर इस बजट में कर्मचारी वर्ग का ध्यान नहीं रखा गया. ऐसे में कर्मचारी वर्ग को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है.
'कर्मचारियों के लिए निराशाजनक बजट'
ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष एच पी साहू ने कहा कि बजट में आम कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली हैं. उन्हें किसी प्रकार की सुविधा भी प्रदान नहीं की गई.कई सरकारी चीजों को बेचा जा रहा है. यह बजट कर्मचारियों के लिए निराशाजनक रहा. साथ ही इस बजट में रोजगार मूलक कोई प्रावधान नहीं रखा गया. बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं कराए गए. यह बजट पूंजीपतियों के लिए बनाया गया बजट है. डीजल-पेट्रोल को लेकर भी बढ़ोतरी की गई. गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए गए.
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'बजट से थी कई उम्मीदें'
नेशनल फेडरेशन ऑफ टेलीकॉम एम्पलाइज के सेक्रेटरी एस एम चिलमवार ने कहा कि यह बजट कहीं से भी कर्मचारियों के हित में नहीं है. इस पूरे बजट से लोगों को उम्मीद थी, लेकिन उस पर यह खरा नहीं उतरा है. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सरकार निजीकरण की ओर बढ़ती जा रही है. ऐसे में गरीब और गरीब होता जाएगा. अमीर और अमीर हो जाएगा.
'अनप्रोग्रेसिव और निंदनीय बजट'
बजट को लेकर एनएफटी के असिस्टेंट सर्कल सेक्रेटरी अलखराम चतुर्वेदानी ने कहा कि यह बजट कर्मचारियों और आम जनता के उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. सरकार सारे पीएसयू को बेच रही है. रोजगार की संभावनाएं नहीं दिख रही हैं, ना ही महंगाई पर बात की गई है. आज पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार हैं. उन्होंने इस बजट को अनप्रोग्रेसिव बताते हुए इसकी निंदा की.