रायपुर : कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से देश के अन्य राज्यों सहित प्रदेश की भी आर्थिक स्थिति काफी प्रभावित हुई है. एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भी इसकी वजह से विभिन्न सेक्टर से मिलने वाले टैक्स की वसूली नहीं हो सकी है और आने वाले कुछ महीनों में भी टैक्स की वसूली प्रभावित रहेगी. यदि टैक्स की वसूली नहीं होती है, तो इसका प्रभाव सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर भी पड़ेगा.
रिटायर्ड प्रोफेसर और अर्थशास्त्री जेएल भारद्वाज ने बताया कि 'यदि यही स्थिति रही तो, आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ सकते हैं, क्योंकि प्रदेश में टैक्स का बहुत बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन में दिया जाता है और वर्तमान स्थिति में टैक्स की वसूली लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रही है. लॉकडाउन खुल भी गया तो जिन लोगों ने काम नहीं किया है या फिर उनकी आय नहीं हुई है तो वह कहां से टैक्स देंगे और ऐसी परिस्थिति में कर्मचारियों के वेतन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.
वित्तीय बजट 2020-21 से मिले आंकड़ों के अनुसार-
- कुल कर्मचारियों की संख्या- 5 लाख 14 हजार 87
- 2020-21 के लिए वेतन मद का बजट- 28743.17 करोड़
- वेतन का मासिक भार 2395.31 करोड़
इन आंकड़ों से साफ है कि, छत्तीसगढ़ में टैक्स का एक बहुत बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को वेतन के रूप में भुगतान किया जाता है, ऐसे में यदि किसी तरह भी टैक्स की रिकवरी प्रभावित होती है तो उसका सीधा असर इन कर्मचारियों के वेतन पर भी पड़ सकता है.
इस विषय पर जब तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा से बात की गई तो उनका कहना था कि 'उन्हें उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ सरकार उनका वेतन कटौती या वेतन रोकने का काम नहीं करेगी लेकिन यदि सरकार के द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह इस मामले को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ने तैयार है'. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को सलाह दी है कि शासकीय विभागों के खर्च का लगभग 60% राशि अधिकारियों के फर्नीचर ऐशों आराम में खर्च होता हैं, यदि उसमे कटौती की जाए तो एक बहुत बड़ा हिस्सा बचाया जा सकता है. उन्होंने शराब बिक्री से होने वाली आय से भी कर्मचारियों के वेतन भुगतान की उम्मीद जताई है.
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