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छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों को वेतन के पड़ सकते हैं लाले !

कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ के शासकीय कर्मचारियों को वेतन के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. पढ़िए पूरी खबर...

problem of salary for Government employees in chhattisgarh
जेएल भारद्वाज, अर्थशास्त्री

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Published : May 16, 2020, 5:12 PM IST

Updated : May 16, 2020, 8:14 PM IST

रायपुर : कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से देश के अन्य राज्यों सहित प्रदेश की भी आर्थिक स्थिति काफी प्रभावित हुई है. एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भी इसकी वजह से विभिन्न सेक्टर से मिलने वाले टैक्स की वसूली नहीं हो सकी है और आने वाले कुछ महीनों में भी टैक्स की वसूली प्रभावित रहेगी. यदि टैक्स की वसूली नहीं होती है, तो इसका प्रभाव सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर भी पड़ेगा.

छत्तीसगढ़ के शासकीय कर्मचारियों को वेतन के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है

रिटायर्ड प्रोफेसर और अर्थशास्त्री जेएल भारद्वाज ने बताया कि 'यदि यही स्थिति रही तो, आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ सकते हैं, क्योंकि प्रदेश में टैक्स का बहुत बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन में दिया जाता है और वर्तमान स्थिति में टैक्स की वसूली लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रही है. लॉकडाउन खुल भी गया तो जिन लोगों ने काम नहीं किया है या फिर उनकी आय नहीं हुई है तो वह कहां से टैक्स देंगे और ऐसी परिस्थिति में कर्मचारियों के वेतन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.

वित्तीय बजट 2020-21 से मिले आंकड़ों के अनुसार-

  • कुल कर्मचारियों की संख्या- 5 लाख 14 हजार 87
  • 2020-21 के लिए वेतन मद का बजट- 28743.17 करोड़
  • वेतन का मासिक भार 2395.31 करोड़

इन आंकड़ों से साफ है कि, छत्तीसगढ़ में टैक्स का एक बहुत बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को वेतन के रूप में भुगतान किया जाता है, ऐसे में यदि किसी तरह भी टैक्स की रिकवरी प्रभावित होती है तो उसका सीधा असर इन कर्मचारियों के वेतन पर भी पड़ सकता है.

इस विषय पर जब तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा से बात की गई तो उनका कहना था कि 'उन्हें उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ सरकार उनका वेतन कटौती या वेतन रोकने का काम नहीं करेगी लेकिन यदि सरकार के द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह इस मामले को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ने तैयार है'. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को सलाह दी है कि शासकीय विभागों के खर्च का लगभग 60% राशि अधिकारियों के फर्नीचर ऐशों आराम में खर्च होता हैं, यदि उसमे कटौती की जाए तो एक बहुत बड़ा हिस्सा बचाया जा सकता है. उन्होंने शराब बिक्री से होने वाली आय से भी कर्मचारियों के वेतन भुगतान की उम्मीद जताई है.

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बीजेपी ने सरकार पर लगाए आरोप

इस मामले को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि 'वेतन न मिलने को लेकर कर्मचारियों ने भी चिंता जाहिर की है, संजय का कहना है कि भाजपा ने जितना लोन 15 सालों में लिया था उसका एक चौथाई लोन 17700 करोड़ रुपए वर्तमान की भूपेश बघेल सरकार इन डेढ़ सालों में ले चुकी है. जिसकी वजह से प्रदेश की जनता कर्ज में डूब गई है'. साथ ही संजय श्रीवास्तव ने भूपेश सरकार पर फिजूलखर्ची का भी आरोप लगाया है.

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कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस ने इसे भाजपा की ओर से सत्य विहीन बयानबाजी बताया है, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी का कहना है कि 'भाजपा लगातार इस तरह के बयान देकर प्रदेश के मीडिया में सुर्खियों में रहना चाहती है. प्रदेश में वेतन न मिलने जैसी स्थिति नहीं है. भाजपा ने कर्ज लेकर 15 साल भ्रष्टाचार किया है जबकि कांग्रेस सरकार प्रदेश के विकास के लिए कर्ज ले रही है'.

शासकीय कर्मचारियों के वेतन पर संकट

बता दें कि जिस तरह की वर्तमान में स्थिति निर्मित हो रही है उसे देखते हुए तो यही लग रहा है कि आने वाले समय में शासकीय कर्मचारियों के वेतन पर संकट मंडरा सकता है. हालांकि सरकार का दावा है कि ऐसी स्थिति प्रदेश में निर्मित नहीं होगी, अब सरकार के दावों में कितनी सच्चाई है इसका पता तो आने वाले कुछ दिनों में ही चल सकेगा.

Last Updated : May 16, 2020, 8:14 PM IST

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