छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: लाल आतंक का दंश झेल रहा छत्तीसगढ़, पक्ष और विपक्ष ने साधी चुप्पी - Naxal incident in Chhattisgarh

जो नक्सल समस्या अब तक प्रदेश में राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा होता था अब उसी नक्सल समस्या को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने चुप्पी साध रखी है. इन दोनों दलों ने नक्सलियों के हिंसक वारदातों को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. न ही सोशल मीडिया पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया दी है.

naxal activity in bastar
लाल आतंक का दंश झेल रहा छत्तीसगढ़

By

Published : Sep 12, 2020, 6:01 PM IST

रायपुर: नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर में बरसात के खत्म होते-होते नक्सली गतिविधियां तेज हो गई है. नक्सलियों ने अपने नापाक मंसूबे को पूरा करने के लिए नया तरीका आजमाया है. अब नक्सली पुलिस जवानों को छोड़ ग्रामीणों को अपना शिकार बना रहे हैं. बीते कुछ दिनों में नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों की पिटाई हत्या और अपहरण की वारदात लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले 20 दिनों की बात की जाए तो नक्सलियों ने इस बीच करीब 8 से 10 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है. इतना ही नहीं 16 ग्रामीण को नक्सलियों द्वारा अगवा किए जाने की भी सूचना थी.

लाल आतंक पर सियासत जारी

जो नक्सल समस्या अब तक प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा होता था. अब उसी नक्सल समस्या को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने चुप्पी साध रखी है. इन दोनों दलों ने अब तक नक्सल घटनाओं पर कोई बयान जारी नहीं किया है. न ही सोशल मीडिया पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया दी है.

छत्तीसगढ़ में नक्सल वारदात

11 सितंबर को नक्सलियों ने बीजापुर में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के रेंजर की हत्या कर दी

10 सितंबर को दो परिवारों को गांव से बाहर निकालने का फरमान सुनाया है. इसमें एक पुलिस कर्मी का परिवार भी शामिल है.

5 सितंबर को नक्सलियों ने बीजापुर के गंगालूर इलाके में 4 ग्रामीणों की हत्या कर दी है.

3 सितंबर को दंतेवाड़ा के हिरौली इलाके में नक्सलियों ने 2 युवकों की हत्या कर दी है.

30 अगस्त को बीजापुर में नक्सलियों ने एक एएसआई की हत्या कर दी

8 अप्रैल को सुकमा के फूलबागड़ी में एक युवक की नक्सलियों ने हत्या की

15 जुलाई को कुकानार थाना क्षेत्र के कुटरू गांव में एक युवक की हत्या


इन हिंसक घटनाओं को लेकर नक्सल मामलों के जानकार शुभ्रांशु चौधरी का कहना है कि नक्सलियों के ज्यादातर बड़े लीडर बूढ़े हो चुके हैं और उनका नीचे के कमांडर पर कंट्रोल कम होता जा रहा है. यही वजह है कि इन नक्सली कमांडरों के द्वारा ग्रामीणों की हत्या मारपीट अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. शुभ्रांशु का यह भी कहना है कि यह एक अनुशासित राजनीतिक हिंसा थी, लेकिन अब यह गैंगवार की तरफ बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अभी भी समय है. इस समस्या को हम लोगों को निपटाने का प्रयास शुरू करना चाहिए.

पढ़ें: सुकमा: दो परिवारों को नक्सलियों ने गांव से निकाला बाहर, प्रशासन पहुंचा रहा मदद

नक्सली वारदात पर राज्य सरकार मौन !
लगातार नक्सलियों द्वारा हिंसक वारदातों को अंजाम देने के बाद अब तक सरकार की ओर से नक्सलियों के खिलाफ कोई बड़ी नीति नहीं अपनाई गई है और न ही किसी कार्रवाई का सरकार ने संकेत दिया है. छोटी-छोटी घटनाओं पर बयान जारी करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने नक्सली घटनाओं पर चुप्पी साध रखी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पिछले कुछ दिनों में हुई नक्सल घटनाओं को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की है. यहां तक कि इन नेताओं या इनकी पार्टी से संबंधित अन्य किसी नेता ने भी नक्सली घटनाओं पर कोई बयान जारी नहीं किया है.

भाजपा ने कांग्रेस को बताया विफल
लगातार हो रही इन नक्सल हिंसक घटनाओं को लेकर जब भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के द्वारा छोटी सी भी नक्सली घटना को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जाता था. उनके द्वारा भाजपा पर नक्सलियों से मिले होने का आरोप लगाया जाता था. लेकिन अब एक के बाद एक हुई घटनाओं को लेकर कांग्रेस सरकार ने चुप्पी साध रखी है. यह कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने में लगी हुई है केंद्र पर आरोप लगाने में जुटी हुई है. प्रदेश की नक्सल समस्याओं पर किसी प्रकार का ध्यान इस सरकार का नहीं है. यही वजह कि नक्सली लगातार हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. यह कांग्रेस सरकार की विफलता है.

नक्सल समस्या को लेकर बनाई जा रही रणनीति
वहीं कांग्रेस की माने तो कांग्रेस सरकार नक्सल मामलों पर नजर बनाए हुए है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता है कि बस्तर को नक्सल आतंक से मुक्त किया जाए उस ओर सरकार काम कर रही है. पिछले कुछ दिनों में नक्सलियों के द्वारा ग्रामीणों की हत्या किए जाने के मामले सामने आए हैं. जिसके बाद उन क्षेत्रों में चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है. सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के आने के बाद प्रदेश में नक्सली घटनाओं में कमी आई है. सुशीला का यह भी कहना है कि जल्दी सरकार नक्सल समस्या को लेकर एक नीति बनाने वाली है.

पढ़ें: बीजापुर: नक्सलियों ने की इंद्रावती टाइगर रिजर्व के रेंजर की हत्या

5 साल में नक्सली हिंसा में 1000 लोगों की गई जान
पिछले 5 साल में प्रदेश भर में नक्सली हिंसा में 1000 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 314 आम लोग भी शामिल हैं. इनका नक्सल आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था. वहीं 220 जवान शहीद हुए हैं साथ ही 466 नक्सली भी मुठभेड़ में मारे गए हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details