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सीएम भूपेश और कृषि मंत्री चौबे ने लॉन्च किया 'गोधन न्याय योजना' का प्रतीक चिन्ह

सीएम भूपेश बघेल और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने 'गोधन न्याय योजना' के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का विमोचन किया. छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व के दिन से गोधन न्याय योजना की शुरुआत की जाएगी.

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'गोधन न्याय योजना' का प्रतीक चिन्ह लॉन्च

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Published : Jul 17, 2020, 3:23 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 7:23 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी 'गोधन न्याय योजना' के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का विमोचन किया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान इस योजना के प्रतीक चिन्ह को लॉन्च किया गया. राज्य सरकार हरेली पर्व यानी 20 जुलाई को गोधन न्याय योजना की शुरूआत करेगी.

'गोधन न्याय योजना' का प्रतीक चिन्ह लॉन्च

इस अवसर पर मुख्य सचिव आर पी मंडल, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता, मुख्यमंत्री के ग्रामीण विकास सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी उपस्थित थे.

सीएम ने की कई कार्यों की समीक्षा

सीएम बघेल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कलेक्टर्स कान्फ्रेंस में राज्य सरकार की महत्वकांक्षी गौधन न्याय योजना सहित कई कार्यों की जानकारी ली. जिसमें फसलों की गिरदावरी की तैयारियों, वृक्षारोपण अभियान की प्रगति, श्रमिकों के कौशल उन्नयन और उनके रोजगार की स्थिति और क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके हुए श्रमिकों से सम्बंधित विषयों की समीक्षा की.

  • गोधन न्याय योजना ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए 2 हजार 408 गौठान और शहरी क्षेत्र के 377 गौठानों में संचालित की जाएगी.
  • योजना से पशुपालकों की आय में वृद्धि और मवेशियों के खुले में चराने पर रोक लगेगी.
  • जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा और रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी आएगी.
  • खरीफ और रबी फसल सुरक्षा और द्विफसलीय क्षेत्र में विस्तार होगा.
  • स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता होगी.
  • स्थानीय स्वसहायता समूहों को रोजगार भी मिलेगा.
  • भूमि की उर्वरता में सुधार, विष रहित खाद्य पदार्थो की उपलब्धता और सुपोषण के स्तर में सुधार होगा.

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इन नियमों के तहत होगी गोबर की खरीदी

  • गौठान समिति पशुपालकों से क्रय किए जा रहे गोबर का लेखा विवरण दो प्रतियों में रखेगी. गोबर क्रय पत्रक का नमूना निर्धारित कर लिया गया है.
  • गोबर क्रय पत्रक में पशुपालक का हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लिया जाएगा. हितग्राहियों से गोबर ही लिया जाएगा, गोबर के कोई उत्पाद या कंडा नहीं लिया जाएगा.
  • बायोमॉस (जैविक अपशिष्ट) स्वेच्छा से गौठानों में प्रदाय किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कोई भी राशि देय नहीं होगी.
  • गौठान में रहने वाले पशुओं से उत्सर्जित गोबर गौठान के हक में होगा, उसके लिए पशुपालक को पृथक से राशि देय नहीं होगी.
  • गौठान में पशुओं के लिए यथासंभव हरा चारा की आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
Last Updated : Jul 17, 2020, 7:23 PM IST

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