रायपुर: गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारी जोर शोर से चल रही है. इस पर्व को लेकर शहर के मूर्तिकारों ने अलग-अलग थीम पर मूर्तियां बनाई है. जो लगभग पूरी तरह बनकर तैयार भी हो चुकी है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मूर्तिकार के यहां लेकर आए हैं, जिनकी बनाई मूर्तियां न केवल चर्चा का विषय है, बल्कि आकर्षण का केंद्र भी. क्योंकि इस परिवार ने वनोपज से जुड़ी मूर्ति बनाई है. अर्थात इसमें हर्रा, बहेरा, तेंदूपत्ता, चार और चिरंजी से मूर्ति को बनाई गई है. वैसे तो मूर्तिकार शिव चरण यादव का परिवार आम दिनों में गुपचुप का ठेला लगाते हैं, लेकिन गणेशोसत्व के इस खास मौके पर पूरा परिवार एक होकर मूर्तियां बनाने में जुट जाते हैं. यहां की मूर्तियां हर साल अलग अलग थीम पर होती है. जिसकी वजह से दूर दूर से लोग मूर्तियों का ऑर्डर देने आते हैं.
Ganesh Chaturthi 2022 वनोपज से बनाई गणपति की मूर्ति, हसदेव को बचाने का दे रहे संदेश - हसदेव को बचाने का दे रहे संदेश
Ganesh Chaturthi 2022 छत्तीसगढ़ में गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारी चल रही है. बाजार में तरह तरह की गणपति की मूर्ति बनाई गई है. लेकिन रायपुर के एक मूर्तिकार ने वनोपज से बप्पा की मूर्ति बनाई है. इसके जरिए वह हसदेव अरण्य को बचाने का संदेश दे रहे हैं. Message to save Hasdev Aranya in Ganpati Puja
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वनोपज से बने बुद्धि के देवता:राजधानी रायपुर में यह पहली दफा होगा जब वनोपज से बने बुद्धि के देवता विराजमान होंगे. करीब 7 फीट की ऊंचाई से बने गजानन पूरी तरह से वनोपज से तैयार किया गए हैं. मूर्तिकार ने इसे बनाने में पूरे एक माह का समय लिया है. मूर्ति की शाइनिंग इतनी शानदार है कि आप इसे देखकर भी अंदाजा नहीं लगा सकते कि यह मूर्ति के निर्माण में विभिन्न वनस्पतियों का उपयोग किया है. जिसमें हर्रा, बहेरा, तेंदूपत्ता, चार और चिरंजी के साथ ही महुआ शामिल हैं. इसे बनाने में 25 किलो से अधिक विभिन्न वनस्पतियां लग गई हैं.
तेंदूपत्ता की धोती तो महुआ का लड्डू:डंगनिया बाजार चौक गणेश उत्सव समिति ने इस बार हसदेव बचाव थीम पर 7 फीट की गणेश जी की मूर्ति बनवाई है. मूर्तिकार शिवचरण यादव ने बताया इस मूर्ति का ढांचा तो पेपर और लकड़ी से तैयार किया गया है, लेकिन इसे सजाने में विभिन्न वनस्पतियों का उपयोग किया गया है. इसमें इमली और करण पौधे के बीज से गणेश जी का शरीर सजाया गया है. वहीं तेंदूपत्ता से धोती, कमलगट्टा से कान, बांस की माला, महुआ का लड्डू बनाया गया है. इस मूर्ति में चिरौंजी दाना, हर्रा, बहेरा का भी उपयोग किया गया.
मौली, सुपारी और धान के भी लम्बोदर:मूर्तिकार शिव चरण के परिवार ने इस बार करीब 8 किस्म की मूर्तियां बनाई है. सभी मूर्तियां मनमोहक है. शिव चरण के परिवार ने मौली, सुपाड़ी, धान, पास्ता, समुद्री सीप और शंख का उपयोग कर विभिन्न तरह की मूर्तियां बनाई है. पास्ता से बने गजानंद पूरी तरह से खाने वाले पास्ता से बनाए गए हैं, जबकि सुपारी वाले लम्बोदर में धान का भी इस्तेमाल किया है. वहीं चावल और धान से भी मूर्तियां बनाईं गईं है.
मूंग और दाल के भी गजानंन:मूर्तिकार की बेटी राशि यादव ने बताया कि समुद्री सीप या शंख के भी बुद्धि के देवता बनाए हैं. इसमें सीप और शंख से पूरा शरीर तैयार किया गया है और सीप से धोती को बनाया गया है. वहीं पास्ता का भी गजानंद बनाए हैं. उन्होंने बताया कि पास्ता और सीप का गणेश 7 फीट का है. इसके अलावा छोटे गजानन भी बनाए गए हैं, जो इस बार शहर के चौक चौराहों पर दिखाई देंगे.
पूरा परिवार मिलकर तैयार करता है मूर्ति :रायपुर के महादेव घाट स्थित रहने वाले मूर्तिकार शिवचरण यादव की बेटी राशि यादव बताती है कि पूरा परिवार मिलकर मूर्तियां बनाता है. इस काम में उसकी पत्नी अनीता यादव और उसके बेटे रवि यादव, बेटी राशि यादव और सबसे छोटा बेटा राहुल यादव सभी मदद करते हैं. उन्होंने बताया कि बाकी दिनों में गुपचुप का ठेला लगाते हैं. जैसे ही गणेश उत्सव नजदीक आता है. उसके बाद मूर्ति बनाने के काम में पूरा परिवार जुट जाता है.