रायपुरःप्रगतिशील कविता और नई कविता के बीज के सेतू माने जाने वाले गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibodh) की आज जयंती है. हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि(major poets of hindi literature), आलोचक, कहानीकार तथा उपन्यासकार गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर और इस युग के महान कवि (great poet)है. गजानन माधव मुक्तिबोध की कर्मभूमि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)की संस्कारधानी राजनांदगांव (Rajnandgaon) रही. उनकी स्मृतियां अभी भी इस शहर में मौजूद हैं. वहीं, गजानन माधव मुक्तिबोध की जयंती (Gajanan Madhav Muktibodh Birthday) के मौके पर ईटीवी भारत ने साहित्यकार रमेश अनुपम (Writer Ramesh Anupam)से खास बातचीत की.
वो हिन्दी कविता के केन्द्र में स्थापित
बातचीत के दौरान साहित्यकार रमेश अनुपम ने बताया कि गजानन माधव मुक्तिबोध नई कविता के कवि माने जाते हैं. पिछले 6 दशक से अधिक समय हो गए हैं. वे हिंदी कविता के केंद्र में स्थापित हैं. मुक्तिबोध जी के बाद जो साहित्य में पीढ़ी आती है. उन्होंने मुक्तिबोध से बहुत कुछ लिया और सीखा है. मुक्तिबोध का हिंदी साहित्य में बहुत बड़ा योगदान है.अनुपम ने बताया कि मुक्तिबोध एक ऐसे व्यक्तित्व है जिन्होंने आलोचना, कविता में कई कीर्तिमान रचे है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कवि सम्मेलन मे हुए शामिल, कुमार विश्वास ने बनाया माहौल
कविता "अंधेरे में " हिंदी की महान कविता
रमेश अनुपम बताते हैं कि गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता 'आशांका के दीप अंधेरे में' बाद में जो "अंधेरे में" के नाम से प्रकाशित हुई, उसे आज भी हिंदी की महान कविता की श्रेणी में रखा जाता है. यह माना जाता है जब इन्होंने यह कविता लिखी, तब वो भविष्य की ओर देख रहे थे. आने वाले समय में इस देश का भविष्य क्या होगा, किस तरह तानाशाही और नाजीवाद सर उठाएगा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास किया जाएगा. "अंधेरे में" कविता की पंक्ति है जिसमें मुक्तिबोध कहते हैं 'अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे. अलग अलग भाषा में साहित्य के जो बुद्धिजीवी हैं.वे आज के समय में अभिव्यक्ति के खतरे उठा रहे. इसे सबसे पहले मुक्तिबोध जी ने 1964 में अपनी मृत्यु से पहले इंगित किया था. आज के समय में भी उनकी है कविता प्रासंगिक बनी हुई है.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे मुक्तिबोध को मिला राजनांदगांव में सहारा