रायपुर: सोमवार को मुख्यमंत्री निवास के सामने धमतरी के बेरोजगार युवक हरदेव सिन्हा ने आत्मदाह की कोशिश की थी, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार से कई सवाल किए. अब ट्वीटवार छिड़ गया है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा है कि, राज्य की जनता हरदेव की इस दशा को आपकी विफलता मानें या सफलता?
रमन सिंह ने अदम गोंडवी की कविता के जरिए सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा कि "जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ खुलासा देखिये आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये, जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिये - अदम गोंडवी"उन्होंने अपने ट्वीट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को टैग करते हुए लिखा है कि "छत्तीसगढ़ आकर झूठे वादे करने वाले @RahulGandhi अब कहां हैं? आपके वादों पर विश्वास करने वाले युवाओं को विश्वासघात की आग में धकेलने वाले मुख्यमंत्री को क्या अब भी आप पद पर रहने देंगे?"
इसके अलावा पूर्व सीएम ने एक और ट्वीट कर हरदेव के पिता का वीडियो शेयर किया और लिखा कि- "आज सभी मिलकर हरदेव सिन्हा को पागल बताने में लगे हुए हैं, तब उनके पिता की बातें सुनकर जनता स्वयं निर्णय करे कि अपने परिवार के लिए 1 वक्त के भोजन की आशा कर @bhupeshbaghelके द्वार जा पहुंचे हरदेव सिन्हा मानसिक रूप से पीड़ित हैं या शासकीय नीतियों से प्रताड़ित?"
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हालांकि बीजेपी के इन सियासी बयानों के पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान जारी अपील की थी कि किसी को भी भावावेश में आकर ऐसा नकारात्मक कदम नहीं उठाना चाहिए. इतना ही नहीं सरकार ने इस घटना की दंडाधिकारी जांच के आदेश भी दे दिए हैं. वहीं टीएस सिंहदेव ने भी ट्टीट के जरीए बेरोजगार युवाओं को संदेश देते हुए कहा है कि राज्य सरकार अपने वादे निभाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.
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राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि हरदेव सिन्हा पिछले दो साल से मानसिक रूप से अस्वस्थ है. पिता बुजुर्गं होने के कारण घर पर ही रहते हैं. हरदेव सिन्हा की गांव में दो एकड़ कृषि भूमि है और वह 9वीं तक पढ़ा है. हरदेव सिन्हा का रोजगार गारंटी में जॉब कार्ड है और पिछले माह उसने 11 दिन का काम भी किया है. उसके परिवार के लोगों ने 21 दिन काम किए हैं. जबकि हरदेव के परिवार ने बताया है कि वो मानसिक रूप से बीमार नहीं है बल्कि आर्थिक रूप से परेशान था.
2016 में बीजोपी शासन में भी हुई थी ऐसी घटना
गौरतलब है कि, साल 2016 में जब भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में रमन सरकार काबिज थी, उस दौरान बिरगांव के योगेश साहू नाम के एक दिव्यांग ने भी मुख्यमंत्री निवास के सामने आग लगा ली थी. बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. दोनों घटनाओं में एक समानता है कि बेरोजागारी से जूझते हुए युवा, मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे.