रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर प्रदेश में नरवा कार्यक्रम के सुचारू संचालन, अनुश्रवण एवं नरवा विकास के कार्यों को गति प्रदान करने के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और जलवायु परिवर्तन विभाग के बीच समन्वय स्थापित करना जरुरी है. नरवा विकास के लिए किए जा रहे कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए वन एवं जलावायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू (Additional Chief Secretary Subrata Sahu) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय ‘नरवा मिशन’ का (Narva mission in chhattisgarh) गठन किया गया है.
कौन-कौन है मिशन में शामिल : पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव आर. प्रसन्ना, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैम्पा व्ही. श्रीनिवास राव, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संयुक्त वन प्रबंधन) अरूण कुमार पाण्डेय, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन के आयुक्त मोहम्मद अब्दुल कैसर हक, नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी एवं छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना (Chhattisgarh Godhan Nyay Yojana) के नोडल अधिकारी डॉ. तंबोली अय्याज फकीर भाई और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन (Mahatma Gandhi National Rural Employment Mission) के मुख्य अभियंता नारायण निमजे नरवा मिशन के सदस्य होंगे.
Narva mission in chhattisgarh : सीएम भूपेश के निर्देश पर 'नरवा मिशन' का गठन, ACS सुब्रत साहू को जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ में नालों को रिचार्ज करने के लिए नरवा मिशन का गठन किया गया (Narva mission in chhattisgarh) है. एसीएस सुब्रत साहू की अध्यक्षता में टीम का गठन हुआ है.
कितने नालों को रिचार्ज करने का लक्ष्य : नरवा विकास कार्यक्रम (Narva Development Program in Chhattisgarh) के तहत प्रदेश के लगभग 30 हजार नालों को रिचार्ज करने के लिए चयनित किया गया है. प्रथम चरण में 9541 नरवा के उपचार की स्वीकृति दी गई है. नालों का उपचार करने के लिए नरवा विकास कार्यक्रम के तहत नालों में वर्षा के जल को रोकने हेतु लूज बोल्डर चेक, चेकडेम, गली प्लग, कंटूर ट्रेंच, स्टाप डेम सहित अन्य संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
नरवा मिशन से क्या हुआ फायदा :उपचारित नालोें में अब गर्मी के दिनों में भी पानी रहता है. इससे निस्तार, पेयजल और सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ी है और क्षेत्र में भू-जल स्तर में भी बढ़ोत्तरी हो रही है.प्रदेश में ‘नरवा कार्यक्रम’ मुख्यतः पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है. ‘नरवा कार्यक्रम’ में छोटे-छोटे भूमिगत डाइक जैसे संरचनाओं की मदद से नालों को निरंतर बहने वाला सदानीर नाला बनाते हुए नालों के जल द्वारा भूमिगत जल को रिचार्ज करने का लक्ष्य रखा गया है.