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SPECIAL: अरण्य एप पर बवाल, निगरानी पर वनकर्मियों ने उठाए सवाल

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Published : Aug 14, 2020, 8:44 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 11:02 PM IST

फॉरेस्ट विभाग के मुख्यालय अरण्य भवन में बड़े लेवल पर काम चल रहा है. मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय, ब्लॉक मुख्यालय और दूरस्थ जंगल में काम कर रहे वन्यकर्मियों को डिजिटल प्लेफॉर्म से जोड़ा जा रहा है. जिसका वन विभाग के कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.

objection on aranya app
अरण्य एप पर आपत्ति

रायपुर: छत्तीसगढ़ का 40 फीसदी से ज्यादा भूभाग फॉरेस्ट रेंज में आता है. ऐसे में फॉरेस्ट विभाग की भूमिका प्रदेश में अहम है. छत्तीसगढ़ में वर्षों से एक ही ढर्रे पर चल रहे फॉरेस्ट विभाग को अब डिजिटल तरीके से अपग्रेड किया जा रहा है. फॉरेस्ट विभाग के मुख्यालय अरण्य भवन में बड़े लेवल पर काम चल रहा है. मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय ब्लॉक मुख्यालय और दूरस्थ जंगलों में फील्ड में जाकर काम कर रहे तमाम लोगों को डिजिटल तरीके से एक प्लेटफार्म से जोड़ा जा रहा है. जिसके लिए सीजी अरण्य एप डिजाइन किया गया है. तमाम तरह के प्रेजेंटेशन के बाद इसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा. ETV भारत ने वन विभाग के डिजिटलाइजेशन को लेकर फॉरेस्ट ऑफिसर से खास बातचीत की है.

अरण्य एप पर बवाल

छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक तमाम क्षेत्रों का बड़ा इलाका जंगलों से भरा पड़ा है. इतने बड़े क्षेत्र में जंगल होने की वजह से वन अमले की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है. आए दिन जंगलों में अवैध कटाई, वन्य जीवों का शिकार और जंगलों में आग की खबर मिलती रहती है. इन तमाम तरह की घटनाओं से निपटने के लिए फॉरेस्ट विभाग अब अपने स्टाफ को डिजिटल तकनीक से जोड रहा है. सीजी फॉरेस्ट की ओर से सीजी अरण्य नाम से एक डिजिटल टेक्नोलॉजी डेवलप की जा रही है.

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इमरजेंसी में सीधे मिलेगी मदद

डिप्टी कंजरवेटर फॉरेस्ट अधिकारी राजू अगासिमनी ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी के जरिए हम प्रदेश के फील्ड लेवल के स्टाफ से लेकर अधिकारियों तक को एक साथ जोड़ रहे हैं. हर कर्मचारी सीधे तौर पर मुख्यालय से जुड़ जाएगा और प्रदेश स्तर की पूरी मॉनिटरिंग एक साथ मुख्यालय में की जा सकेगी. साथ ही किसी तरह की इमरजेंसी और मुसीबत के वक्त कर्मचारी सीधा हेड मुख्यालय में संपर्क कर सकते है. जंगलों में अवैध कटाई, वन्यजीवों का शिकार और वनकर्मियों पर हमले जैसी घटनाएं लगातार होती रहती हैं. डिजिटल मॉनिटरिंग से ऐसी घटनाओं को रोकने या तत्काल पकड़ने में काफी मदद मिल सकती है.

कर्मचारियों को दी जा रही ट्रेनिंग

ऐप और तमाम लोगों को जोड़ने के लिए मुख्यालय में एक हेड कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है. ताकि किसी भी तरह की कोई परेशानी होने पर वनकर्मी सीधे कंट्रोल रूम में बात करके अपनी शंका दूर कर सकें. कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है. कॉल सेंटर के ज़रिए तकनीकी मदद भी दी जाएगी.

आंदोलन की दी चेतावनी
छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ ने एप के ज़रिए मॉनिटरिंग पर आपत्ति जताई है और इसे कर्मचारियों की निजी ज़िंदगी में दखल बताया है. छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सतीश मिश्रा का कहना है कि हर 3 घंटे में लोकेशन ट्रेस करना सही नहीं है. यह ऐप कर्मचारी विरोधी है, कर्मचारी भी एक मानव है और उसे भी दैनिक कृतियों दायित्व के लिए समय की आवश्यकता होती है. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र जारी कर मांग की है कि उनके 8 घंटे कार्य अवधि का निर्धारण किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने आंदोलन की बात कही है.

Last Updated : Aug 14, 2020, 11:02 PM IST

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