रायपुर: छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज (chhattisgarh state power companies) की पांचों कंपनियों का विलय (merger of five power companies in chhattisgarh) किया जाना है. इसे लेकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले मुद्दा बनाया था. पार्टी ने अपने जन घोषणापत्र में इन पांचों कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी बनाने की बात कही थी. सत्ता पर काबिज होते ही सरकार ने इसे लेकर कवायद भी शुरू की थी, लेकिन उसके बाद से ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब कांग्रेस सरकार को लगभग ढाई साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद इसके सरकार ने इन छत्तीसगढ़ पावर स्टेट कंपनीज की पांचों कंपनियों को मर्ज करने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. जिसे लेकर बीजेपी ने मुद्दा बनाया लिया है.
अप्रैल 2019 में मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसमिशन और जनरेशन कंपनी फायदे में है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी घाटे में है. विलय से डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी का घाटा शून्य हो जाएगा. इससे लगभग 100 करोड़ के आसपास इनकम टैक्स की बचत होगी.
कंपनी के खर्चे कम होने से बिजली दर में कमी आएगी. इसका सीधा फायदा प्रदेश के 54 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को होगा. बिजली कंपनी के लिए बैंक ओवरड्राफ्ट क्षमता बढ़ेगी. रोजमर्रा के खर्चे चलाने में आसानी होगी.
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जानकारी के मुताबिक यदि पांचों कंपनियों को एक कर दिया जाता है, तो उससे स्वभाविक है कि इन कंपनियों के स्थापना व्यय और टैक्स में भी काफी कमी आएगी. जिसका फायदा सीधे बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा. इस तरह बिजली उपभोक्ताओं को कम दरों पर बिजली मुहैया कराई जा सकती है.
हालांकि राज्य सरकार की ओर से पहले से ही बिजली बिल हाफ स्कीम चलाई जा रही है, जिसके तहत प्रदेश के उपभोक्ताओं को एक बड़ी राहत देने की कोशिश कांग्रेस सरकार ने दी है.
मार्च 2021 तक देनी थी रिपोर्ट
सत्ता पर काबिज होते हैं कांग्रेस सरकार ने इन कंपनियों के एकीकरण के अपने वादे को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू की थी, इसके लिए एकीकरण के स्थान पर कंपनियों की संख्या कम करने का प्रस्ताव आया था. सरकार ने इस प्रस्ताव के विश्लेषण का काम एक निजी कंपनी को सौंपने के साथ ही वरिष्ठ अफसरों की 13 सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई थी. कंपनियों की संख्या कम करने की प्रक्रिया 31 मार्च 2021 तक पूरा करने का समय सीमा तय की गई थी, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आई है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन ने साल 2009 में जब बिजली बोर्ड का विखंडन किया जा रहा था, तभी विरोध किया था. इसके बावजूद बोर्ड को भंग करके 5 अलग-अलग कंपनियां बना दी गई थी. इसका असर यह हो रहा है कि कंपनियां एक-दूसरे के साथ व्यापार कर रही हैं. इससे हर कंपनी को अलग-अलग टैक्स भरना पड़ रहा है. बिजली बोर्ड मुनाफा में चल रहा है, लेकिन इस वक्त ज्यादातर कंपनियां नुकसान में हैं. इसका असर बिजली की दरों पर भी पड़ा है.
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आइए एक नजर डालते हैं इन पांचों कंपनियों के काम पर
1. जनरेशन- छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Generation Company Limited) यह कंपनी प्रदेश में मौजूद पावर प्लांट से बिजली उत्पादन का काम देखती है.