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उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही हैं पांच बिजली कंपनियां, विलय का वादा रह गया अधूरा

छत्तीसगढ़ में बिजली व्यवस्था में सुधार के नाम पर बिजली बोर्ड का किया गया कंपनीकरण उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है. पांच अलग-अलग कंपनी होने से स्थापना व्यय के साथ टैक्स का भार बढ़ गया है. इसका सीधा असर बिजली की दरों पर पड़ रहा है.कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कंपनियों के एकीकरण (integration of five power companies in chhattisgarh) का वादा किया था, लेकिन ढाई साल बाद भी इस पर अमल नहीं हो पाया है. इसे लेकर बीजेपी ने मुद्दा बना लिया है.

Five power companies in Chhattisgarh are weighing heavily on consumers
छत्तीसगढ़ में उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही हैं पांच बिजली कंपनियां

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Published : Jul 17, 2021, 9:37 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज (chhattisgarh state power companies) की पांचों कंपनियों का विलय (merger of five power companies in chhattisgarh) किया जाना है. इसे लेकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले मुद्दा बनाया था. पार्टी ने अपने जन घोषणापत्र में इन पांचों कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी बनाने की बात कही थी. सत्ता पर काबिज होते ही सरकार ने इसे लेकर कवायद भी शुरू की थी, लेकिन उसके बाद से ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब कांग्रेस सरकार को लगभग ढाई साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद इसके सरकार ने इन छत्तीसगढ़ पावर स्टेट कंपनीज की पांचों कंपनियों को मर्ज करने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. जिसे लेकर बीजेपी ने मुद्दा बनाया लिया है.

उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही हैं पांच बिजली कंपनियां

अप्रैल 2019 में मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसमिशन और जनरेशन कंपनी फायदे में है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी घाटे में है. विलय से डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी का घाटा शून्य हो जाएगा. इससे लगभग 100 करोड़ के आसपास इनकम टैक्स की बचत होगी.

कंपनी के खर्चे कम होने से बिजली दर में कमी आएगी. इसका सीधा फायदा प्रदेश के 54 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को होगा. बिजली कंपनी के लिए बैंक ओवरड्राफ्ट क्षमता बढ़ेगी. रोजमर्रा के खर्चे चलाने में आसानी होगी.

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जानकारी के मुताबिक यदि पांचों कंपनियों को एक कर दिया जाता है, तो उससे स्वभाविक है कि इन कंपनियों के स्थापना व्यय और टैक्स में भी काफी कमी आएगी. जिसका फायदा सीधे बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा. इस तरह बिजली उपभोक्ताओं को कम दरों पर बिजली मुहैया कराई जा सकती है.

हालांकि राज्य सरकार की ओर से पहले से ही बिजली बिल हाफ स्कीम चलाई जा रही है, जिसके तहत प्रदेश के उपभोक्ताओं को एक बड़ी राहत देने की कोशिश कांग्रेस सरकार ने दी है.

मार्च 2021 तक देनी थी रिपोर्ट

सत्ता पर काबिज होते हैं कांग्रेस सरकार ने इन कंपनियों के एकीकरण के अपने वादे को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू की थी, इसके लिए एकीकरण के स्थान पर कंपनियों की संख्या कम करने का प्रस्ताव आया था. सरकार ने इस प्रस्ताव के विश्लेषण का काम एक निजी कंपनी को सौंपने के साथ ही वरिष्ठ अफसरों की 13 सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई थी. कंपनियों की संख्या कम करने की प्रक्रिया 31 मार्च 2021 तक पूरा करने का समय सीमा तय की गई थी, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आई है.

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन ने साल 2009 में जब बिजली बोर्ड का विखंडन किया जा रहा था, तभी विरोध किया था. इसके बावजूद बोर्ड को भंग करके 5 अलग-अलग कंपनियां बना दी गई थी. इसका असर यह हो रहा है कि कंपनियां एक-दूसरे के साथ व्यापार कर रही हैं. इससे हर कंपनी को अलग-अलग टैक्स भरना पड़ रहा है. बिजली बोर्ड मुनाफा में चल रहा है, लेकिन इस वक्त ज्यादातर कंपनियां नुकसान में हैं. इसका असर बिजली की दरों पर भी पड़ा है.

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आइए एक नजर डालते हैं इन पांचों कंपनियों के काम पर

1. जनरेशन- छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Generation Company Limited) यह कंपनी प्रदेश में मौजूद पावर प्लांट से बिजली उत्पादन का काम देखती है.

2. ट्रांसमिशन- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Transmission Company Limited) इस कंपनी का कार्य उत्पादन केंद्रों से बिजली सब स्टेशनों तक पहुंचाना है.

3. डिस्ट्रीब्यूशन- छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Distribution Company Limited) यह कंपनी उपभोक्ताओं को बिजली वितरण का कार्य करती है.

4. ट्रेडिंग- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Trading Company Limited) यह कंपनी प्रदेश और अन्य राज्यों से बिजली खरीदी-बिक्री का काम देखती है.

5. होल्डिंग- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Holding Company Limited) यह कंपनी चारों कंपनियों में समन्वय बनाने के साथ ही कंपनियों और कर्मचारियों के पेंडिंग मामलों को निपटाती है.

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विपक्ष ने याद दिलाया वादा

पांच कंपनियों के एकीकरण न किए जाने को लेकर विपक्ष ने मुद्दा बनाया है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि कांग्रेस का जन घोषणा पत्र झूठ का पुलिंदा था. इस सरकार ने एक भी वादे पूरे नहीं किए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस इन 5 कंपनियों के गठन का विरोध किया था. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पांचों कंपनी को एक करने का वादा किया था, लेकिन ढाई साल बाद भी इन कंपनियों के एकीकरण को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि अलग-अलग पांच कंपनियों बनाए जाने से कहीं ना कहीं ज्यादा मैन पावर की आवश्यकता पड़ रही है. खर्चों में भी बढ़ोतरी हुई है. कई कंपनियां वर्तमान में नुकसान में भी चल रही हैं. वर्तमान में जो बिजली बिल हाफ का लाभ उपभोक्ताओं को मिल रहा है, यदि यही स्थिति बनी रही तो हो सकता है कि इसमें भी आने वाले समय में कटौती हो जाए. यदि आने वाले समय में इन पांचों कंपनियों को एक में मर्ज नहीं किया गया तो बिजली महंगी हो सकती है.

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सारे वादे होंगे पूरे: कांग्रेस

इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि उन्हें 5 साल के लिए जनादेश मिला है. पार्टी एक-एक वादे को पूरा करेगी. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि पावर कंपनी के एकीकरण करने की बात जन घोषणा पत्र में कई गई थी. सरकार इस मामले में गंभीर है. सही समय पर सही फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि आखिर जनता ने ये अधिकार कांग्रेस को दिया है. इसका फैसला आने वाले समय में कांग्रेस करेगी.

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