रायपुर : मछुआ सहकारी समिति ने गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में टेंडर की प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय में जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद महासंघ के अध्यक्ष और एमडी से मुलाकात की. धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में आने वाले मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए पिछली सरकार ने 10 वर्षीय पट्टा दिया था, जो 30 जून को खत्म होने वाला है.
टेंडर निरस्त कराने मछुआरों ने खोला मोर्चा, जमकर किया विरोध प्रदर्शन - छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय
धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में आने वाले मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए पिछली सरकार ने 10 वर्षीय पट्टा दिया था, जो 30 जून को खत्म होने वाला है.
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि समिति को यह बात पता चली है कि इसका टेंडर हो गया है. इसे हम निरस्त करने की मांग करते हैं. धमतरी जिले और आस-पास के लगभग 52 गांव के 700 परिवारों के रोजी-रोटी का जरिया मत्स्य पालन है जो मछुआ सहकारी समिति बनाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. अगर पट्टे की अवधि नहीं बढ़ाई जाती है, तो ऐसे में समिति कैसे अपना रोजी रोटी चलाएगी.
कभी भी लागू हो सकती है टेंडर प्रथा
मामले में महासंघ के अध्यक्ष का कहना है कि टेंडर प्रथा को फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन कभी भी टेंडर प्रथा फिर से लागू की जा सकती है. ऐसे ही में मत्स्य पालन करने वाले इन मछुआ समिति के मछुआरों का क्या होगा. इस पर फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता.