रायपुर : अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर जिला व वर्तमान में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के इस पुरातात्विक स्थल सिरपुर में वर्ष 1955 से 1957 के मध्य पहली बार उत्खनन का कार्य किया गया. इस उत्खनन में प्रमुख रूप से दो बौद्ध विहार और एक जैन चैत्य के भग्नावशेष मिले. इसके बाद किए गए उत्खनन में कई महत्वपूर्ण प्रतिमाएं, सिक्के, घर में उपयोग होने वाले पुरातात्विक उपकरण, पूजा अर्चना से संबंधित वस्तुएं, लोहे की सामग्रियां और अन्य पुरावशेष प्राप्त हुए. सिरपुर उत्खनन से इस प्राचीन दक्षिण कोसल में शैव, वैष्णव, बौद्ध और जैन धर्म के मध्य परस्पर सौहार्द की जानकारी मिलती है. सिरपुर में उत्खनन से प्राप्त लघु पूराअवशेषों में, रसोई घर में प्रयुक्त होने वाले लोहे के पात्र, ताले, तराजू जैसी वस्तुएं मिली हैं. इसी तरह यहां पूजा उपासना और जन-जीवन से संबंधित कई सामग्रियां भी प्राप्त हुई हैं. इन अवशेषों में बौद्ध धर्म के स्थापत्य कला का प्रतीक स्तूप आकार का घंटा, पीतल का लोटा, ढक्कन सहित तांबे का श्रृंगार पात्र और कांस्य प्रतिमा मुख्य है. यहां के उत्खनन से बौद्ध धर्म से संबंधित और मिट्टी से निर्मित बौद्ध मंत्र, गोलाकार पवित्र मोहरे, जिन पर बहुत मंत्र लिखी हुई है प्राप्त हुई है.
देश में लाल ईंटों से बने पहले मंदिर का इतिहास और संरचना
सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर (Chhattisgarh first temple made of red brick) का निर्माण सन 525 से 540 के बीच हुआ. सिरपुर (श्रीपुर) में शैव राजाओं का शासन हुआ करता था. इन्हीं शैव राजाओं में एक थे सोमवंशी राजा हर्षगुप्त. हर्षगुप्त की पत्नी रानी वासटादेवी, वैष्णव संप्रदाय से संबंध रखती थीं, जो मगध नरेश सूर्यवर्मा की बेटी थीं. राजा हर्षगुप्त की मृत्यु के बाद ही रानी ने उनकी याद में इस मंदिर का निर्माण कराया था. यही कारण है कि लक्ष्मण मंदिर को एक हिन्दू मंदिर के साथ नारी के मौन प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है.
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नागर शैली में बनाया गया भारत का यह ऐसा पहला मंदिर...
नागर शैली में बनाया गया यह मंदिर भारत का पहला ऐसा मंदिर माना जाता है, जिसका निर्माण लाल ईंटों से हुआ था. लक्ष्मण मंदिर की विशेषता है कि इस मंदिर में ईंटों पर नक्काशी करके कलाकृतियां निर्मित की गई हैं, जो अत्यंत सुन्दर हैं. क्योंकि अक्सर पत्थर पर ही ऐसी सुन्दर नक्काशी की जाती है. गर्भगृह, अंतराल और मंडप, मंदिर की संरचना के मुख्य अंग हैं. साथ ही मंदिर का तोरण भी उसकी प्रमुख विशेषता है. मंदिर के तोरण के ऊपर शेषशैय्या पर लेटे भगवान विष्णु की अद्भुत प्रतिमा है.
इस प्रतिमा की नाभि से ब्रह्मा जी के उद्भव को दिखाया गया है और साथ ही भगवान विष्णु के चरणों में माता लक्ष्मी विराजमान हैं. इसके साथ ही मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतारों को चित्रित किया गया है. हालांकि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है, लेकिन यहां गर्भगृह में लक्ष्मण जी की प्रतिमा विराजमान है. यह प्रतिमा 5 फन वाले शेषनाग पर आसीन है.
भारतीय मूल के अमेरिका के प्रोफेसर कर रहे इस मंदिर पर अध्ययन...
अमेरिका में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत भारत के अभिषेक सिंह सिरपुर पर अध्ययन कर रहे हैं. इनकी टीम में जापान और जार्जिया में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत एक अन्य विदेशी सहयोगी भी हैं. अभिषेक सिंह ने ईटीवी भारत से वर्चुअल बातचीत के दौरान बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश का सिरपुर आर्किलोजिकल साइट बहुत महत्वपूर्ण साइट है. इसका इतिहास, चौथी शताब्दी के इतिहास के पन्नों पर भी अंकित है. यहां काफी हिंदू मंदिर हैं, बौद्ध विहार हैं जो उत्खनन के बाद सामने आए हैं. बावजूद इसके अभी यहां काफी कुछ काम करना बाकी है. जिस तरह स्टडी की जरूरत है और जिस तरह सस्टेन रिसर्च होनी चाहिए, उस तरह की स्टडी अभी नहीं हुई है. इस साइट में काम करने का काफी पोटेंशियल है. इसलिए हम कुछ और विदेशी कॉलीग्स के साथ इस साइट पर स्टडी कर रहे हैं.