रायपुर: रायपुर पुलिस बाइकर्स और बाजारों में सक्रिय चोरों पर नकेल कसने में नाकाम है. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. पीड़ित सस्ते से लेकर महंगे मोबाइल चोरी और लूट का एफआईआर लिखाने पहुंच रहे हैं, लेकिन पुलिस उनसे सिर्फ मोबाइल गुम होने की शिकायत दर्ज करवा रही है. जानकारी के मुताबिक बाजारों से मोबाइल चोरी और बाइक द्वारा छीनकर भागने की घटनाएं बढ़ती जा रही है. ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि शहर के 32 थाना क्षेत्रों से रोज 70 से ज्यादा मोबाइल चोरी की घटनाएं हो रही है.
मोबाइल चोरी और लूट में नहीं हो रही एफआईआर थानों में नहीं लिखी जाती रिपोर्ट:भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पैनल कोर्ट में संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध होने पर उसमें ज्ञात या अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान है. इसके बाद भी साप्ताहिक और भीड़ वाले बाजारों से चोरी किए जाने वाले मोबाइल ही नहीं बल्कि बाइकर द्वारा राहगीरों से महंगे मोबाइल छीने जा रहे हैं. जिनकी थानों में रिपोर्ट भी नहीं लिखी जाती है. इससे इन लोगों को हजारों की चंपत लग रही है, वे उसे दोबारा पाने की उम्मीद छोड़ रहे हैं. क्योंकि पुलिस इस प्रकरण की जांच और कार्रवाई से बचने के साथ अपराध के बढ़ रहे ग्राफ को ऑन रिकॉर्ड करने से बच रही है. इसकी वजह से पीड़ितों को ना तो मोबाइल मिल पा रहा है और ना ही अपराधियों पर कार्रवाई हो रही है.
जांच की प्राथमिकता में नहीं: शहर के 32 थाना क्षेत्र में रोज तीन से चार मामले मोबाइल गुम की शिकायत है. इनमें अज्ञात लोगों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं होता है. ऐसे लोगों पर नकेल कसना तो दूर मिलने वाली शिकायत की जांच में भी पुलिस रुचि नहीं लेती. क्योंकि शिकायत लेने से प्रकरण जांच की प्राथमिकता में नहीं होते.
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पुलिस नहीं दिखा रही रुचि:पड़ताल में खुलासा हुआ कि थानों की पुलिस महंगी बाइक में घूमने और राहगीरों के मोबाइल छीनकर भागने वाले गिरोह की पहचान और कार्रवाई में रुचि नहीं ले रही है. इसके अलावा अब बाजारों में पुलिस की मुस्तैदी भी कम हो गई है. इसका अपराधी प्रवृत्ति के युवा जमकर फायदा उठा रहे हैं और लोग हलाकान हैं.
यहां से मिल रही ज्यादा शिकायतें:जानकारी के मुताबिक शहर के बीच गोल बाजार, आजाद चौक, टिकरापारा और तेलीबांधा के अलावा आउटर में भी इसकी शिकायत ज्यादा है. सबसे ज्यादा मामले उरला, खमतराई, धरसीवा और आमानाका में दर्ज होते हैं. क्योंकि उन क्षेत्रों में कामकाजी महिलाएं और मजदूर ज्यादा होते हैं. इन्हीं में से कुछ युवा मोबाइल चोरी के मामले में संदिग्ध होते हैं, लेकिन पुलिस के पास ऐसे युवाओं का कोई रिकॉर्ड भी नहीं है.
केस -1
फुंडहर निवासी वेद व्यास ने बताया जब वह साइकिल से वीआईपी रोड पर जा रहे थे. तब पीछे से बाइक सवार 12 हजार का मोबाइल लूटकर भाग गए. मामले की रिपोर्ट लिखाने तेलीबांधा थाने पहुंचे तो वहां लूट का प्रकरण दर्ज करने के बजाय सिर्फ शिकायत ली गई. मौके का जायजा लेने भी थाने से कोई नहीं आया.
केस - 2
सुंदर नगर में किराए के मकान पर रह रहे पवन कुमार ने बताया कि रात में घर के बाहर फोन पर बात करते हुए टहल रहे थे. इसी बीच बाइक सवार आए और उनका मोबाइल लूटकर फरार हो गए. उन्होंने इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराने पहुंचा लेकिन एफआईआर दर्ज कराने के बजाए गुमशुदगी का फॉर्म भरवा कर खानापूर्ति कर दिया गया. पवन बताते हैं कि वे इस घटना से बेहद आहत हैं. उनका मोबाइल भी अब तक नहीं मिला है.
क्या कहते हैं अफसर:वहीं इस मामले को लेकर रायपुर एडिशनल एसपी अभिषेक महेश्वरी ने बताया कि "इस तरह का कोई भी मामला यदि आता है तो पुलिस इन मामलों पर धारा 356 और 379 के तहत केस दर्ज करते हैं. पुलिस लगातार लूटपाट करने वाले आरोपियों पर कार्रवाई करती है. आज हम इस तरह के मामले पर एक विशेष अभियान चलाने वाले हैं."