Fight On ST Seats In CG Elections: छत्तीसगढ़ चुनाव में एसटी सीटों पर मुकाबला टाइट, किसे मिलेगा आदिवासी वर्ग का समर्थन ? - वरिष्ठ पत्रकार आर कृष्ण दास
Fight On ST Seats In CG Elections छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एसटी आरक्षित सीटों की संख्या 29 है. आदिवासी मतदाताओं का इन सीटों पर जिस पार्टी को आशीर्वाद जाता है. उसकी सरकार बन जाती है. देखिए इस बार का सियासी समीकरण क्या कहता है ?Political equation of tribal seats in Chhattisgarh
बस्तर/रायपुर: छत्तीसगढ़ चुनाव में पहले चरण की लड़ाई सबसे रोचक मानी जा रही है. इस जंग में बस्तर की बाजी सबसे अहम है. बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से बस्तर संभाग की सभी 12 सीटों पर इस बार मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है. बीजेपी ने ट्राइबल वोटों को लुभाने के लिए अपने केंद्रीय नेताओं को बस्तर में उतार दिया है. खुद पीएम मोदी भी यहां चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं. उसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया जैसे नेता चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से सीएम भूपेश बघेल और प्रियंका गांधी ने बस्तर में ताबड़तोड़ सभाएं की है. इस तरह दोनों पार्टियां लगातार बस्तर में धुंआधार प्रचार कर रही हैं.
क्या बीजेपी को बस्तर में मिल रही चुनौती: बीजेपी को बस्तर में चुनौती मिल रही है. यहां की 12 सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा आदिवासी वर्ग की जनसंख्या है. सिर्फ जगदलपुर सीट को छोड़कर बांकी सभी सीटें एसटी सीटें हैं. साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को आदिवासी बाहुल्य सीटों पर भारी झटका लगा था. सिर्फ दंतेवाड़ा सीट पर बीजेपी की जीत हुई थी. यहां से बीजेपी के भीमा मंडावी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन नक्सल हमले में उनकी मौत हो गई. उसके बाद हुए उपचुनाव में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. इस बार बस्तर की सभी सीटों पर बीजेपी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
बस्तर में बीजेपी ने झोंकी ताकत: बस्तर में बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. यहां से परिवर्तन यात्रा निकाली गई. पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के नेताओं ने यहां रैली की. बीजेपी ने आदिवासियों के विकास और धर्मांतरण का मुद्दा उठाया. पीएम मोदी ने बस्तर में कई रेल परियोजनाओं और नगरनार स्टील प्लांट की सौगात दी. डीएमएफ फंड के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया. लघु वनोपज के लिए केंद्र की तरफ से किए जा रहे काम के बारे में बताया गया. इस तरह बीजेपी ने बस्तर में अपनी पूरी ताकत लगा दी है.
छत्तीसगढ़ में अब तक हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर एक नजर: चुनाव विश्लेषक आर कृष्ण दास के मुताबिक छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में एसटी वर्ग की बड़ी भूमिका है. यहां पर अब तक जितने चुनाव हुए हैं. उनमें आदिवासी वर्ग का आशीर्वाद जिसे मिला. उसकी सरकार बन गई.
छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीटों का समीकरण
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2003: साल 2003 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां 90 सीटों में 34 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी. जिसमें बीजेपी ने 25 एसटी सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके साथ ही कुल 50 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस को इस चुनाव में 9 एसटी सीटें मिली थी. कांग्रेस को इस चुनाव में कुल 37 सीटें मिली थी. बीएसपी को दो सीटों पर जीत मिली थी. जबकि एनसीपी के खाते में एक सीट गई थी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2008: साल 2008 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कुल 90 सीटों में बीजेपी ने एक बार फिर 29 रिजर्व सीटों में 19 पर जीत दर्ज की. जबकि कांग्रेस को 10 सीटें मिली. इस चुनाव में आदिवासी सीटों की संख्या को परिसीमन के जरिए घटाकर 34 से 29 कर दिया गया था. बीजेपी ने इस चुनाव में एक बार फिर 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 38 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि बीएसपी को दो सीटें मिली थी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013: बात साल 2013 के विधानसभा चुनाव की करते हैं. 2013 के विधानसभा चुनावों में आदिवासी मतदाताओं ने कांग्रेस को अपना आशीर्वाद दिया. कांग्रेस ने 29 एसटी सीटों में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि बीजेपी को कुल 11 सीटें मिली. लेकिन कांग्रेस की कुल सीटें 38 तक ही सीमित रही. जबकि बीजेपी ने एक बार फिर 49 सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की. इस तरह बीजेपी ने तीसरी बार अपनी सरकार छत्तीसगढ़ में बनाई. इस चुनाव में बीएसपी को एक सीट और एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी को मिली
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: अब बात साल 2018 के विधानसभा चुनाव की. इस इलेक्शन में कांग्रेस ने पूरी बाजी पलट दी. 90 सीटों में से कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी को कुल 15 सीटें मिली. इसके अलावा जोगी कांग्रेस को 5 और बीएसपी को दो सीटें प्राप्त हुई. बाद में हुए उपचुनावों में कांग्रेस तीन सीटों पर जीत दर्ज की. इस तरह कुल सीटों की संख्या 71 हो गई. इस चुनाव में 29 एसटी आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने 25 सीटें जीती. जबकि बीजेपी को तीन सीटें मिली. जेसीसीजे ने एक सीट पर जीत दर्ज किया. बाद में दो उपचुनाव में कांग्रेस ने दंतेवाड़ा और मरवाही सीटें जीत ली.
सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी ने एसटी सीटों पर झोंकी ताकत: वरिष्ठ पत्रकार आर कृष्ण दास के मुताबिक सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी ने एसटी सीटों पर ताकत झोंक दी है. पुराने आदिवासी नेताओं को भी बीजेपी मैदान में लेकर आई है. बीजेपी ने अब तक 86 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है. जिसमें सभी 29 एसटी आरक्षित सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिए हैं. कांग्रेस ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. जिसमें सभी 29 एसटी आरक्षित सीटें शामिल हैं. बीजेपी उम्मीदवारों की बात करें तो एसटी आरक्षित सीटों पर बीजेपी के प्रमुख उम्मीदवारों में एक मौजूदा विधायक सहित 6 पूर्व मंत्रियों को मैदान में उतारा है. जबकि दो लोकसभा सदस्य, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, तीन पूर्व विधायक और एक रिटायर आईपीएस अधिकारी को भी मैदान में उतारा है. उसी तरह कांग्रेस ने भी सभी 29 आरक्षित सीटों पर अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा है. जिनमें पीसीसी चीफ दीपक बैज, मंत्री मोहन मरकाम और मंत्री कवासी लखमा शामिल हैं.