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Mahashivratri 2023 : कब है महाशिवरात्रि पूजा और महत्व

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Published : Nov 30, 2022, 7:18 PM IST

Updated : Nov 30, 2022, 7:33 PM IST

Mahashivratri 2023 भारत में छोटे और बड़े त्योहार को उत्साह के साथ मनाया जाता है.लोगों का ऐसा विश्वास है कि अपने दुखों को खत्म करने के लिए भगवान का सहारा लेना जरुरी है. भारत के कई राज्यों में अलग अलग देवी देवताओं को मनाया जाता है.महाशिवरात्रि ऐसा पर्व है जिसके अंतर्गत हम शिव का पूजन करते हैं.ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव धरती पर स्वयं आते हैं.

कब है महाशिवरात्रि पूजा और महत्व
कब है महाशिवरात्रि पूजा और महत्व

Mahashivratri 2023: भारत में सनातन धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से महाशिवरात्रि एक है. दुनिया में भारतीय लोगों को भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए जाना जाता हैं. यह पर्व लूनी-सौर महीने में माह में आता है, जो हिंदू पंचांग या कैलेंडर के अनुसार 13 वें या 14 वें दिन आता है. महाशिवरात्रि का पर्व साल में एक बार आता है, जो शीत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में मनाया जाता है. प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार यह शुभ त्योहार हिंदू पंचांग के माघ या फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या की चौथी रात को आता है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी या मार्च में आता है. (Festival worship and importance of Mahashivaratri)

कब है शिवरात्रि : शिवरात्रि (भगवान शिव की पूजा की रात) फाल्गुन माह की अमावस्या से एक रात पूर्व मतलब चतुर्दशी के शुरू होते ही, सीधे शब्दों में कहा जाए तो, जब हिंदू भगवान शिव की विशेष प्रार्थना करते हैं. जो माया और भ्रम के विनाश के स्वामी हैं. 2023 साल 2023 में महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को है.

महाशिवरात्रि का महत्व :भारतीय लोग हर छोटे और बड़े त्योहार को उत्साह के साथ मनाते हैं. भारतीय लोगों का मानना है कि, अपने दुखों को खत्म करने का सीधा उपाय भगवान का पूजन करना है. महाशिवरात्रि ऐसा पर्व है जिसके अंतर्गत हम शिव का पूजन करते हैं. सीधे शब्दों में कहा जाएं तो पूरे साल में भगवान से मांगी गई प्रार्थनाओं का धन्यवाद देने का समय महाशिवरात्रि पर्व (mahashivratri festival) है. हिंदू धर्म में भगवान शिव को हमेशा आदि गुरु का दर्जा दिया जाता है. जो ज्ञान और विवेक के सर्जक थे.भगवान शिव अपने आप में परम स्वयभूं (जिनका कोई उदगम और अंत नहीं है) है. भगवान शिव के साथ दुनिया शुरू होती है और उनके साथ समाप्त होती है. कई पुराणों में शिव का स्वभाव बेहद ही आक्रामक माना जाता है. यह भी कहा जाता है कि, आम तौर पर उनकी आभा और उपस्थिति हम मनुष्यों द्वारा नियंत्रित नहीं की जाती है, इसलिए वह वर्ष में एक बार पृथ्वी पर आते हैं. ये दिन महाशिवरात्रि की रात होती है. (importance of mahashivratri)

Last Updated : Nov 30, 2022, 7:33 PM IST

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