रायपुरःभारतवर्ष (India) का सबसे बड़ा प्रमुख त्योहार दीपावली(Diwali 2021) चित्रा स्वाती नक्षत्र प्रीति योग चर योग और चरकरण के साथ गुरुवार के दिन तुला राशि के चंद्रमा में अत्यंत शुभ गजकेसरी योग शस्त्र योग नीच भंग राजयोग जैसे शक्तिशाली तीन प्रमुख योगों के बीच मनाया जाएगा. यह अवसर अनेक वर्षों में एक बार आता है. इस बार की दिवाली व्यापारिक गतिशीलता अर्थशास्त्र और देश की आर्थिक स्थिति को गति प्रदान करने वाली रहेगी. प्रकाश का यह पर्व भारतवर्ष की जीडीपी को एक नई गति प्रदान करेगा.
इस मुहूर्त में पूजा से मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न Diwali 2021: जानिए आखिर क्यों दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है नरक चतुर्दशी
राम के अयोध्या आगमन पर जलाया गया दीप
भारतीय संस्कृति में भारतीय संस्कृति में आर्यावर्त जीवन पद्धति में देव दिवाली सबसे प्रमुख पर्व माना गया है. असत्य पर सत्य की जीत अनीति पर नीति की जीत प्राप्त करने के पश्चात मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी आज ही के दिन अयोध्या लौटे हैं. उस खुशी के अवसर पर सभी अयोध्यावासी संपूर्ण अयोध्या को प्रकाशित कर अमावस्या में श्री रामचंद्र जी का स्वागत करते हैं. अवधेश के महान स्वागत की यह परंपरा करोड़ों वर्षों पश्चात भी आज भी वैसे चली आ रही है. संपूर्ण भारतवर्ष के लोग अनंत उत्साह उमंग उल्लास और खुशियों के साथ इस पावन पर्व को आज भी अनवरत रूप से इस पर्व को वैसे ही मनाते आ रहे हैं. यह हमारे जीवन में नवीनता ऊर्जा जोश उत्साह उमंग लालित्य और प्रेम के बीजों को प्रस्फुटित करता है. बच्चे से लेकर बूढ़े तक इस मंगल पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं.
ये है पूजा की शुभ बेला
इस शुभ दिन प्रातः बेला में स्नान ध्यान योग से निवृत्त होकर महालक्ष्मी कुबेर (Mahalaxmi Kuber) श्री राम गौरी और गणपति (Ganpati) की पूजा करने का विधान है. माता लक्ष्मी चंचला मानी गई है. इसलिए स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा करने का विशेष विधान है. चार लग्न जो स्थिर लग्न माने गए हैं. क्रमश उनमें इस पूजा को किया जाता है. सुबह वृश्चिक लग्न में सुबह 7:06 से लेकर सुबह 9:21 तक वृश्चिक लग्न रहेगा. इसी तरह कुंभ लग्न जो कि दूसरा स्थिर लग्न है. वह दोपहर 1:15 से लेकर दोपहर 2:49 तक रहेगा. तीसरा शुभ मुहूर्त गोधूलि बेला का है. जो कि वृषभ लग्न के रूप में जाना जाता है. यह सायंकाल 6:03 से लेकर रात्रि 8:02 तक रहेगा. इसके पश्चात मध्य रात्रि में सिंह लग्न का सुयोग रात्रि 12:30 से लेकर मध्य रात्रि 2:40 तक सहयोग रहेगा.
सभी दिशाओं में दीप जलाया जाता है
इन मुहूर्त में महालक्ष्मी की पूजन करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. आज के दिन सभी दिशाओं में दीपक जलाकर हर्ष व्यक्त किया जाता है. सभी कोनों में दीपमाला प्रकाशित की जाती है और बच्चे उत्साह के साथ पटाखे फोड़ कर अपनी खुशियां जाहिर करते हैं. महालक्ष्मी माता को कमल का फूल बहुत प्रिय है. अष्टगंध युक्त चंदन अभीर गुलाल कुमकुम रोली सिंदूर बंधन आदि से महालक्ष्मी माता का श्रृंगार किया जाना चाहिए. सप्तधान्य लाइ बताता नैवेद्य नेवज ऋतु फल आदि महालक्ष्मी और कुबेर भगवान को श्रद्धा पूर्वक अर्पित किए जाते हैं.
सफाई का रखा जाता है पूरा ध्यान
समस्त पूजन लाल रंग के साफ-सुथरे वस्त्र में किया जाना चाहिए. माता लक्ष्मी स्वच्छता की देवी हैं. अतः दिवाली के दिन सारे कार्य सफाई स्वच्छता और निर्मलता के साथ किए जाने चाहिए. आज के दिन श्री सुक्तम लक्ष्मी सुक्तम कनकधारा स्रोत वैदिक श्री सुक्तम महालक्ष्मी के 1008 नाम लक्ष्मी चालीसा और महालक्ष्मी की आरती श्रद्धा पूर्वक गायन करनी चाहिए. महालक्ष्मी का पूजन करने के साथ यह भी ध्यान रखें .सूक्ष्म रूप में महालक्ष्मी के शुभ नामों को लेकर यज्ञ हवन भी करना चाहिए.