रायपुर: आज कजरी तीज (kajari teej 2021) का पावन पर्व है. इसे भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. इसे संकष्टी चतुर्थी, बहुला चतुर्थी या अंजलि जयंती भी कहते हैं. इस पर्व पर सौभाग्यवती माताएं अपने पुत्र की रक्षा और लंबी आयु के लिए पूजा एवं प्रार्थना करती हैं. प्रमुख रूप से यह त्यौहार संतान कि वृद्धि के लिए मनाया जाता है. माताएं इस दिन स्नान आदि के बाद निराहार रहते हुए इस व्रत का संकल्प लेती हैं. 25 अगस्त की शाम को 4:18 के बाद इस व्रत को करना श्रेयस्कर माना गया है. श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा.भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है
माताएं चंद्रमा का दर्शन करके तोड़ती हैं व्रत
योग गुरु विनीत शर्मा ने बताया कि, इस पर्व पर माताएं चंद्रमा के दर्शन के बाद ही अपने व्रत को आहार लेकर तोड़ती हैं. चंद्रमा के दर्शन के पश्चात गौरी गणपति की स्थापना कर उन्हें जल अर्ध्य गंगाजल, अबीर, गुलाल, रोली, कुमकुम, चंदन, परिमल, माला, पुष्प, अक्षत आदि से उनकी पूजा की जाती है. गौरी, गणपति को चंद्र दर्शन बाद माला भी पहनाई जाती है. साथ ही शिव परिवार की भी पूजा की जा सकती है. यह पर्व माताएं बहुत ही उत्साह के साथ करती आई हैं. छत्तीसगढ़ विशेष में इसे बहुला चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है.