रायपुर:छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ सहित प्रदेश के 20 संगठनों ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन किया. सुबह से ही ग्रामीण इलाकों में विरोध प्रदर्शन जारी रहा. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यह प्रदर्शन किया गया. साथ ही किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ खेतों के सामने सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया.
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से संबद्ध विभिन्न संगठनों के नेताओं ने अलग-अलग स्थानों में किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन का नेतृत्व किया. भिलाई-आरंग में राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के सदस्य पारसनाथ साहू ने समर्थन किया, तो परसदा में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान महासभा के तेजराम विद्रोही भी प्रदर्शन में शामिल हुए. वहीं नया राजधानी में प्रभावित किसान समिति के रूपन चंद्राकर ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया. साथ ही रायपुर में नदी घाटी मोर्चा के गौतम बंद्योपाध्याय, फाइट फॉर राइट मूवमेंट के अनिल बघेल, कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर सहित कई लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
किसानों ने इस विधेयक को बताया कृषि और किसान विरोधी
केंद्र की भाजपा सरकार के "एक देश, एक बाजार" के खिलाफ 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया था. इसी के तहत देश के किसानों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया. छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के नेतृत्व में गांव से शहरों को जोड़ने वाले सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. किसानों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए बेलटुकरी, परसदा, कौंदकेरा, परतेवा, देवरी, जेन्जरा, श्यामनगर, बरोडा, कुम्ही समेत कई गावों में विरोध प्रदर्शन किया है.
मोदी सरकार पर उद्योगपतियों के लिए काम करने का आरोप
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदन लाल साहू और राज्य सचिव तेजराम विद्रोही के नेतृत्व में तहसीलदार राजिम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया. इस ज्ञापन के माध्यम से संघ के लोगों ने कहा कि कृषि संबंधित विधेयकों को लोकसभा में बिना सवाल-जवाब के पारित कर दिया गया है. इसलिए इस पर हस्ताक्षर न किया जाए. संघ के लोगों ने मोदी सरकार पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया.