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महात्‍मा गांधी की 73वीं पुण्‍यतिथि: किसान संगठनों के साथ कई संगठन ने रखा उपवास - mahatma gandhi

राजधानी रायपुर के आजाद चौक स्थित गांधी पुतला के पास कई संगठनों ने गांधी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर उनको श्रद्धांजलि दी. 36 संगठनों के समन्वय से छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और राष्ट्रीय किसान मोर्चा के नेतृत्व में ये आयोजन रखा गया.

Tribute paid to Mahatma Gandhi on his 73rd death anniversary
महात्‍मा गांधी की 73वीं पुण्‍यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

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Published : Jan 30, 2021, 4:56 PM IST

रायपुर: राजधानी में गांधी जी की 73वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही किसान आंदोलन में शहीद हुए 180 किसानों को भी श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान कई संगठनों ने संयुक्त रुप से उपवास का आयोजन भी किया. इस उपवास कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, कांग्रेस सेवा दल सहित अन्य कई संगठन के लोग मौजूद थे.

आजाद चौक स्थित गांधी पुतला के पास कई संगठनों ने गांधी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर उनको श्रद्धांजलि दी. साथ ही दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में एक दिन का उपवास रखा. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून का विरोध भी किया.

इस दौरान चैेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन को कुचलने का षड्यंत्र रच रही है. उन्होंने बताया कि 36 संगठनों के समन्वय से छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और राष्ट्रीय किसान मोर्चा के नेतृत्व में ये आयोजन रखा गया.

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कैसे हुई थी महात्मा गांधी की हत्या?

30 जनवरी 1948 की शाम को दिल्ली के बिड़ला भवन में महात्मा गांधी प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे. उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू के सीने को गोली से छलनी कर दिया था. नाथूराम गोडसे ने बापू की हत्या की साजिश की पटकथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रची थी. गांधी की हत्या करने में गोडसे की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परचित गंगाधर दंडवत ने की. ग्वालियर में शिंदे की छावनी वो जगह थी, जहां से पिस्टल खरीदी गई थी और यहीं पर नाथूराम को महात्मा गांधी की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया था. नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली. जब नाथूराम गोडसे ने बंदूक चलाने का प्रशिक्षण ले लिया, तो उसके बाद 29 जनवरी की सुबह वो ग्वालियर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गया.

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