रायपुर : किसान संगठनों की ओर से लगातार कृषि मंडियों (Demand to start agriculture markets of state) को शुरू करने की मांग की जा रही है. किसान संगठन का कहना है कि केंद्र की तरफ से निर्धारित समर्थन (Fixed Support Price) मूल्य पर राज्य सरकार मंडियों में धान बेचने की घोषणा करें. ताकि किसानों को राहत मिल सके. मंडी शुरू न होने की वजह से इन किसानों को औने-पौने दामों पर व्यापारियों को अपना धान बेचना पड़ता है. जिससे उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. साथ ही देर से हो रही धान खरीदी में किसानों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.
भाजपा शासनकाल में 1 नवंबर से धान खरीदी की जाती थी, लेकिन कांग्रेस सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी कर रही है. 1 महीने के अंतर के कारण किसान काफी परेशान है, क्योंकि इस बीच यदि पानी गिर जाता है इन किसानों के धान खराब हो जाते हैं. खलिहानों में रखा धान सड़ जाता है. जिससे इन्हें काफी आर्थिक क्षति होती है. यही वजह के किसान प्रदेश में संचालित मंडियों को शुरू करने की मांग कर रही है.
धान खरीदी की घोषणा बाद भी किसानों में क्यों है मायूसी?
प्रदेश में भाजपा के शासन काल में 230 में से 37 मंडल संचालित थीं : किसान संगठन
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर संघ (Chhattisgarh Kisan Mazdoor Sangh) के सदस्य वैगेंद्र सोनबेर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन काल में 230 में से 37 मंडल संचालित थीं. आज कांग्रेस सरकार में 41 मंडियां संचालित हो रही है. जिसमें 4 उप मंडी भी शामिल हैं. भाजपा के शासनकाल में सौदा पत्रक कानून लाया गया था, जो व्यापारियों को लाभ पहुंचाने वाला कानून था. जिसका पालन आज भी किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में इस कानून के तहत भूपेश सरकार भी व्यापारियों को लाभ पहुंचा रही है.
यदि समर्थन मूल्य पर मंडियों में धान बेचने की व्यवस्था कर दी जाए, उससे 25 सो रुपए की कोई दरकार नहीं है. यदि हम समर्थन मूल्य पर 12 महीने धान बेचेंगे तो भी खुशहाल रह सकते हैं. हम अपने रबी फसल का धान भी समर्थन मूल्य पर मंडी में बेच सकते हैं. हम अपने परिवार को खुश रख सकते हैं. यदि सौदा पत्र कानून चालू रहा तो आज हम जो 25 सो रुपए और समर्थन मूल्य की जगह महज 12 सौ रुपये में धान बेच रहे हैं. आने वाले समय में हमें ऐसे हजार पर भी बेचना पड़ेगा. इसलिए हमारी मांगे की मंडियों को फिर से शुरू किया जाए.
छत्तीसगढ़ के किसानों की सुध नहीं ले रही कांग्रेस : भाजपा