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SPECIAL: 'परेशानी' बन गया धान, बारिश और बदइंतजामी से दुखी किसान - रायपुर न्यूज

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी ने किसानों को परेशान कर रखा है. कहीं बेमौसम बारिश तो कहीं केंद्रों में फैली अव्यवस्था ने किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं धान का उठाव और बारदाना सप्लाई नहीं होने के कारण धान खरीदी कुछ दिनों से ठप पड़ी हुई है.

problem in paddy purchase
परेशान किसान

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Published : Jan 9, 2020, 7:19 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस साल धान खरीदी ने किसानों को रुला लिया है. पहले समर्थन मूल्य के वादे पर इंतजार हाथ आया फिर बढ़ी खरीदी की तारीख. प्रशासन की कार्रवाई ने भी किसानों को बहुत परेशान किया तो रही-सही कसर मौसम ने पूरी की. अब कहीं असुविधा, कहीं बदइंतजामी, कहीं केंद्रों में ताला तो कहीं लापरवाही अन्नदाताओं का सब्र तोड़ रही है.

बारिश और बदइंतजामी से किसान परेशान

प्रदेश के लगभग हर जिले से ऐसी ही खबरें आई हैं. तखतपुर जिला सहकारी बैंक के पोंडिकला धान खरीदी केंद्र से आई खबर ने दुखी कर दिया. यहां बेमौसम हुई बारिश से अपना धान बचाते-बचाते एक किसान ने दम तोड़ दिया. रामाधार साहू खरीदी केंद्र में रखे धान को बारिश से बचाने के लिए पॉलीथिन से ढक रहा था इसी बीच बेहोश होकर गिर पड़ा, जब तक परिवारवाले उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचे, उसकी जान जा चुकी थी.

बारिश से परेशान
वहीं बेमेतरा में भारी बारिश की वजह से बुधवार को खरीदी केंद्रों में रखा धान पूरी तरह भीग गया. अधिकारी और कर्मचारी केंद्रों में फैली अव्यवस्था से बेहद नाराज हैं. बरसात की वजह से जांजगीर-चांपा में भी किसान खरीदी केंद्रों तक अपना धान लाने के लिए जद्दोजहद करते नजर आए. यही हाल महासमुंद, कसडोल, कवर्धा, कोरबा, जगदलपुर में भी देखने को मिला.

बारिश ने खोली व्यवस्थाओं की पोल
कवर्धा में हुई बेमौसम बारिश ने धान उपार्जन केंद्रों की पोल खोलकर रख दी है. उपार्जन केंद्रों की हजारों क्विंटल धान पानी में भीग गया है, जिससे शासन को लाखों का नुकसान हुआ है. वहीं धान का उठाव और बारदाना सप्लाई नहीं होने के कारण धान खरीदी कुछ दिनों से ठप पड़ी हुई है.

केंद्रों से नहीं हुआ परिवहन
बालोद से 7 जनवरी को खबर आई कि धान संग्रहण केंद्रों में पर्याप्त जगह होने के बावजूद भी अब तक खरीदी केंद्रों से परिवहन नहीं किया गया है. इस वजह से धान खरीदी बंद होने की संभावना जताई जा रही है.

धान खरीदी का न होना भी परेशानी का सबब
7 जनवरी को ही बलौदाबाजार से खबर आई किपवनी धान खरीदी केंद्र में धान खरीदी नहीं हो रही है. जिससे किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि 'धान खरीदी नहीं होने से उनको एक-एक पैसे के लिए मोहताज होना पड़ रहा है'. किसानों का यह भी कहना है कि 'एक महीने बीत जाने के बाद भी उनको टोकन नहीं मिल पा रहा है'.

महासमुंद में रोकी गई थी धान खरीदी
महासमुंद से 4 जनवरी को खबर थी कि बेमौसम बारिश और बदइंतजामी की वजह से धान खरीद केंद्रों में धान खरीदी रोक दी गई है. बारिश के कारण ज्यादातर धान खरीदी केंद्रों में खरीदी नही हुई है, वहीं किसान अपने टोकन के अनुसार धान खरीदी केंद्रों के चक्कर लगाकर परेशान होते रहे.

कसडोल में टोकन न मिलने से परेशान किसान
4 जनवरी को ही कसडोल से जानकारी मिली कि कसडोल क्षेत्र में पिछले रुक-रुक हो रही बारिश ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी. लागातर बारिश के कारण कृषि समितियों में पानी भर गया है. जिसके कारण कृषि समितियों में टोकन नहीं कट रहा है और धान खरीदी बंद है. इससे किसान परेशान हो रहे हैं.

धान का उठाव न होने से हुआ जमाव
3 जनवरी को कवर्धा से जानकारी मिली कि जिले के कई धान खरीदी केंद्रों में धान का उठाव नहीं किए जाने के कारण धान का जमाव हो गया है. धान के बढ़ते जमाव को देखते हुए केंद्र में टोकन काटा जाना बंद कर दिया गया है. ताकि किसान धान लेकर केंद्र में न आएं. अन्नदाता यहां भी परेशान दिखा.

बारिश में भीग गया धान
3 जनवरी को कोरबा से खबर आई कि बार-बार मौसम बिगड़ने और बारिश होने से धान खरीदी केंद्रों में जमीन गीली होने के कारण धान का तौल करने में समिति प्रबंधकों और हमालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बारिश से धमतरी जिले के कई सोसायटियो में रखा धान भीग गया.

बारदानों की कमी बड़ी वजह
जगदलपुर में 28 दिसंबर की खबर थी कि खरीदी केंद्र में शेड का इंतजाम नहीं था तो किसानों का धान भीग गया. 28 दिसंबर को ही राजनांदगांव से जानकारी मिली कि जिले के सोसायटियों के पास बारदानों की कमी है. इस वजह से धान खरीदी पर कभी भी रोक लगाई जा सकती है. बावजूद इसके जिला प्रशासन अब तक सोसायटियों में बारदानों की उपलब्धता को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

ये तस्वीरें जो हमने आपको दिखाई ये प्रदेश के किसानों का हाल बयां करने के लिए काफी हैं. छत्तीसगढ़ इन्हीं अन्नदाताओं की मेहनत से 'धान का कटोरा' कहा जाता है. इनकी मेहनत ही सालभर सरकार के खजाने में महकती है लेकिन अफसोस, जिन्हें उचित दाम मिलना चाहिए उनके हिस्से सिर्फ परेशानी आई.

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