रायपुर: केन्द्र और राज्य सरकार लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, ताकि लोगों के जीवन स्तर मे सुधार हो सके, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पानी, बिजली, सड़क समेत कई योजनाएं चला रही है, लेकिन धरसींवा इलाके में ये सभी योजना खुद को चिढ़ाती नजर आ रही हैं. इन योजनाओं में से ग्रामीण क्षेत्र के अंतिम छोर तक पहुंचने में विफल साबित रही है. कुछ ऐसा ही नजारा तिल्दा ब्लॉक के मोहरेंगा गांव में देखने को मिला है. जहां कुछ ऐसे परिवार हैं, जो डिजिटल युग के रंगीन दुनिया से बिलकुल अंजान हैं. आज भी लोग बिना बिजली के अंधेरें मे रहने को मजबूर हैं.
मोहरेंगा गांव में निवासरत लोगों के यहां पंचायत के अड़ियल रवैया और उपेक्षापूर्ण नीति के कारण आज-तक बिजली की कनेक्शन नहीं लग पाई है, जिससे इन परिवारों को अंधेरे में ही रहकर गुजर-बसर करना पड़ रहा है. फिर भी आला अफसर इनके समस्याओं से अवगत होने के बाद भी इनके निराकरण में कोई खास रूचि नहीं दिखा रहे हैं. वहीं जब इस मामले में ग्राम के जन-प्रतिनिधियों से पूछा गया तो सभी गोलमोल जवाब देते नजर आए.
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विवादित जमीन पर घर बनाने का हवाला
पंचायत का कहना है कि ये लोग जहां पर घर बनायें है वह विवादित जमीन है. बेजा-कब्जा करके इन लोगों ने घर बना लिया गया है. यहां पर गौठान बनाने की भी योजना बनी थी. इस कारण यहां रह रहे लोगों को दूसरी जगह घर बनाने के लिए जमीन दिया गया है, जिसमें यहां रह रहे अन्य लोग नये जमीन में चले गए हैं, लेकिन 4-5 परिवार के लोग नहीं जा रहे हैं.
पंचायत को लोगों पर साजिश करने का आरोप
वहीं पीड़ित परिवार के लोगों का साफ कहना है कि पटवारी द्वारा जमीन की नाप-जोख के बाद ही घर बनाने के लिए दिया गया है, जिनका उनके पास नक्शा और लिखित दस्तावेज भी उपलब्ध हैंस लेकिन पंचायत के द्वारा इस जमीन को बेजा-कब्जा करने का आरोप लगाया गया है. परिवार का कहना है कि उको यहां से बेदखल करने की साजिश की जा रही है. इसी विवाद को मुद्दा बनाकर पंचायत के लोग बिजली लाइन गुजरने के बावजूद बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने में कोताही बरत रहे हैं.
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बेजा-कब्जा का आरोप निराधार
पीड़ित परिवारों के सदस्यों का कहना है कि उन पर पंचायत द्वारा बेजा-कब्जा का आरोप लगाना बिल्कुल निराधार है. इस मामले मे परिवार धरना प्रदर्शन से लेकर तहसील, एसडीएम और कलेक्टर कार्यालय का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं. अभी हाईकोर्ट में मामला चल रहा है. आला अफसर इस मामले से अवगत हैं, लेकिन ग्रामसभा और पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने विवादित जमीन पर घर बनाने का आरोप लगाकर बिजली उपलब्ध नहीं करा रहे हैं.
अंधेरे में पढ़ते हैं बच्चे
इन पीड़ित 4-5 घरों मे 25-30 सदस्य निवास करते हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. जो स्कूलों में पढ़ाई करते हैं, लेकिन घर में बिजली नहीं होने से इन बच्चों को पढ़ाई-लिखाई करने में बहुत असुविधा होती है. ये बच्चे टार्च, मोमबत्ती और चिमनियों के सहारे अंधेरे में पढ़ने को मजबूर हैं. बच्चों का कहना है कि अंधेरे में रहने के कारण हमेशा भय का वातावरण बना रहता है.
आवास योजना के तहत बने हैं मकान
पीड़ित परिवार के सदस्यों ने कहा कि कुछ मकानें यहां पहले से बनी हुई है, जबकि कुछ आवास योजना के तहत बनाई गई है. अगर उक्त जमीन विवादित होती तो यहां आवास योजना पास ही नहीं होती. साथ ही इन घरों में शासन के योजना के तहत शौचालय का भी निर्माण किया गया है, लेकिन पंचायत इन सबको अनदेखा कर रहा है.